नई दिल्ली: Qala Movie Review: अनविता दत्त के निर्देशन में बनी फिल्म 'कला' (Qala) की जितनी तारीफ की जाए कम ही होगी. 40 के दशक के परिवेश के ईर्द-गिर्द बुनी गयी फिल्म की कहानी को जिस शिद्दत से उकेरा गया है, क्या ही कहना. यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मिसाल के तौर पर पेश की जाएगी. कलात्मकता, रचनात्मकता और एक औरत के नजरिए से पेश की गयी कहानी ये कहानी आपका दिल जीत लेगी.


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कहानी


'कला' की कहानी औरत और पुरुष के बीच फर्क करने वाली सोच, लड़कों को मिलने वाली हर आजादी और लड़की की ख्वाहिशों को सामाजिक सलाखों के पीछे धकेलने वाली सोच को इस संगीतमय कहानी के जरिए पेश किया गया है. 'कला' में दिखाया गया है कि कैसे एक मां अपने बेटे को बहुत अहमियत देती हैं. गायिकी के उसके अरमानों में अपनी खुशियां ढूंढती हैं. वहीं अपनी बेटी की गायिकी से जुड़ी वैसी ही ख्वाहिशों को कुचल देती हैं. फिल्म की जान है अमित त्रिवेदी का संगीत.


एक्टिंग


फिल्म में अभिनय की बात की जाए तो एक हैरान-परेशान नायिका के तौर पर तृप्ति डिमरी ने अपनी अधूरी इच्छाओं, गायिका बनने की अपनी ख़्वाहिशों और नामचीन हो जाने के बाद भी सुकून से ना जी पाने से जुड़े जज्बातों को बखूबी पेश किया है.



तृप्ती ने एक बार फिर दर्शकों का अपनी दमदार एक्टिंग और खूबसूरती से दिल जीत लिया है.


बाबिल खान का हुआ दमदार डेब्यू


फिल्म 'कला' में बाबिल खान ने अपने किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया हैं. अभिषेक बच्चन की तरह लोग बाबिल की एक्टिंग में उनके दिवंगत पिता इरफान को ढूंढने की कोशिश करेंगे. मगर बाबिल अपने डेब्यू के साथ ही इस बात को साबित करते हैं कि उनमें अपने पिता इरफान की तरह ही उनमें भी एक उम्दा अभिनेता बनने के गुर हैं. स्वास्तिका मुखर्जी, अमित सियाल, वरुण ग्रोवर ने अपने‌ किरदारों को बखूबी निभाया है. 


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