First Death Anniversary Of Sushant: तुम कभी भुलाए नहीं जा सकते सुशांत
फिल्मी दुनिया की चमक के पीछे कितना स्याह अंधेरा होता है, सुशांत का चले जाना इस बात की एक और गवाही है. ठीक परवीन बॉबी की ही तरह.
नई दिल्लीः परवीन बॉबी, 21 जनवरी 2005 की सुबह घरों में अखबार पहुंचे तो पहला पन्ना देखते ही बीते 40-45 की उम्र वाले लोग तो सकपका ही गए. उनके सामने दीवार, नमक हलाल, सुहाग, मजबूर, दीवार, देशप्रेमी, काला पत्थर, कालिया और अमर अकबर ऐंथनी जैसी फिल्मों के सीन गुजरने लगे और कभी कमसिन, कभी शर्मीली, कभी नखरीली तो कभी शोख परवीन की तस्वीरें रील बनकर उभरने लगीं. लोग भरोसा ही नहीं कर पा रहे थे कि परवीन नहीं रहीं.
परवीन बॉबी की मौत
अगर परवीन चली भी गईं तो ऐसे गईं कि शायद तीन दिन तक बॉडी घर में पड़ी रही, जिसके पेट में अनाज का एक दाना नहीं. थी तो केवल शराब और कुछ दवाइयां. गैंगरीन से सड़ गया एक पैर और घर में बसी तन्हाइयां. सच पूछिए तो परवीन की मौत उस दिन न होती तो इससे पहले 10-12 साल से फिल्मी दुनिया से गायब परवीन बॉबी शायद ही किसी को याद आ पातीं.
लेकिन आज सुशांत की बात का दिन है
लेकिन, आज परवीन बॉबी के बारे में बताने का दिन नहीं है. आज दिन है दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बारे में बात करने का. एक अरसा गुजर गया सुशांत को गए हुए. बीते एक साल में तो खैर अभी उन्हें कोई भूला ही नहीं, तो उन्हें याद कर लेना जैसा शब्द अभी इस लायक नहीं हुआ है.
लेकिन फिल्मी दुनिया की चमक के पीछे कितना स्याह अंधेरा होता है, सुशांत का चले जाना इस बात की एक और गवाही है. ठीक परवीन बॉबी की ही तरह.
जीते जी तवज्जो न देने वाले भी कर रहे याद
आज सुशांत SSR बन गए हैं. वह #Justice4SSR वाले टैग में बदल दिए गए हैं. उनके इस टैग के साथ उन्हें वह भी याद कर रहे हैं जिन्होंने जीते जी सुशांत को वाजिब तवज्जो शायद ही दी हो.
फैज कह गए हैं कि अजल तो मुफ्त में बदनाम है जमाने में. कुछ उनसे पूछ, जिन्हें जिंदगी ने मारा है.
जिन्होंने कभी मजाक उड़ाया
सुशांत की मौत के बाद फिल्मी दुनिया वालों ने उन्हें खूब याद किया. इनमें वे भी शामिल रहे जिन्होंने सुशांत को तब बिल्कुल भुलाए रखा जब वह जीते-जागते इसी दुनिया का हिस्सा थे. निर्माता-निर्देशक करन जौहर और आलिया भट्ट कुछ इन्हीं वजहों से लोगों के गुस्से का शिकार बने थे. दरअसल, जौहर ने ट्वीट किया था कि सुशांत के साथ उनका बहुत स्ट्रांग बॉन्ड था.
लेकिन लोगों ने उन्हें कॉफी विद करन का वह एपिसोड याद दिला कर बताया कि कैसे एक समय था कि वह टीवी स्क्रीन पर इसी अभिनेता का, अपने खास दोस्त का मजाक उड़ा रहे थे. जहां जौहर ने पूछा था कि कौन हैं सुशांत तो वहीं आलिया ने कहा था Kill Sushant.
सुशांत की शख्सियत कोई समझ ही नहीं पाया
और इन सबसे दूर सुशांत कैसे थे? इसका जवाब देता था उनता ट्विटर हैंडल. किसी को याद हो तो यह दिलचस्प है कि सुशांत के ट्विटर हैंडल के कवर पेज पर एक खूबसूरत पेंटिंग लगी हुई थी. नाम है स्टारी नाइट.
मशहूर पेंटर वैन गॉग की बनाई ये पेंटिंग वैन से भी ज्यादा मशहूर थी, इतनी कि कई खाली दीवारों को इसने अपने नूर से चमकाया. कितने कॉफी मगों को अपनी मौजूदगी से सजाया है.
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एक पेंटिंग और सुशांत की जिंदगी
लेकिन इस पेंटिंग की सच्चाई जानते हैं आप? दरअसल, सबसे बड़ा सच ये कि वैन ने ये पेंटिंग पागल खाने में बनाई थी. दूसरी बात जानेंगे तो आंखों की पुतलियां और फैल जाएंगीं. गॉग ने 29 जुलाई 1890 में आत्महत्या कर ली थी. यही इत्तेफाक है.
सुशांत की मौत हत्या और आत्महत्या के बीच रहस्य बनी हुई है, लेकिन ये पेंटिंग इस बात की गवाही तो देती है कि कुछ तो खाली सा था सुशांत के दिल में. जिसे न फिल्मी दुनिया की चमक भर पा रही थी, न यारों का साथ और न ही रिया के साथ का खास रिश्ता. खैर, अभी रिया का नाम लेने की जरूरत नहीं. वह मुद्दा ही अलग है.
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सुशांत भुलाए नहीं जा सकते
लेकिन, गुरुदत्त, विवेका बाबाजी, दिव्या भारती, परवीन बॉबी और भी कई नामों से होकर गुजरने वाली कड़ी सुशांत को खुद में जोड़ती तो है तो क्या बताती है. यही कि ये दुनिया खुद में मशगूल हो जाने की है. यहां गला काटने वाली दौड़ लगी हुई है.
यहां खुद को ऊंचा उठा लेने की कोशिश रत्ती भर भी नहीं है. आपको छोटा कर देने के लिए पहाड़ हिलाने जितना जोर लगाया जा रहा है. हर पल आपका नाम समेट दिया जा रहा है. सुशांत सिंह राजपूत, ये नाम SSR बन गया है, डर है कि न्याय मिलने से पहले सुशांत इस तरह भुला न दिए जाएं.
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