नई दिल्ली: किशोर कुमार (Kishore Kumar) अपने आप में किस्सों की दुकान है. उनका नाम आते ही खुलता है यादों का ऐसा पिटारा जो भरा है ढेरों कहानियों से. चाहे उम्र में किशोर कुमार कितने भी बड़े क्यों न हो गए लेकिन उनके अंदर का बचपन हमेशा जिंदा रहा. हाजिरजबावी और चतुराई में कोई उनका मुकाबला नहीं कर सकता था. उनकी मेमोरी इतनी तेज थी कि कोई एक बार बस उन्हें कुछ कह दे. वो जब तक उनसे बराबरी न कर लेते उन्हें चैन नहीं आता. आइए आज उनसे जुड़े मजेदार किस्सों को जानते हैं-


बंगला बनाने चले तो मिला कंकाल


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4 अगस्त 1929 को खंडवा में पैदा होने वाले किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार था. फिल्मों में आकर ही उनका नाम किशोर कुमार पड़ा. कहते हैं कि वो खंडवा में वेनिस शहर जैसा एक घर बनवाना चाहते थे. मजदूरों से घर के चारों तरफ एक नहर खोदने के लिए कहा गया था. जैसे ही नहर का काम आगे बढ़ा, खुदाई में कोई डरावने कंकाल का हाथ मिला. बस उस हाथ को देख मजदूर तो मजदूर किशोर दा की भी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. काम वहीं रोक दिया गया और बंगले का सपना, सपना ही रह गया.



लता मंगेश्कर की फीस कितनी है


किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार भी बॉलीवुड के नामचीन सिंगर है. अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने ये बताया कि कैसे उनके पिता को जब भी किसी गाने का ऑफर मिलता तो सबसे पहले पूछते कि 'अच्छा ये बताओ लता इस गाने का कितना ले रही है. अच्छा वो 90,000 ले रही हैं तो ठीक है मैं 1 लाख लूंगा'. अमित कुमार ने अपने जीवन की शुरुआत बंगाल से अपने पिता के गानों को गाकर की. उन्हें उनके पिता की कॉपी कहा जाता था.



बाद में उन्होंने इसी लीक को तोड़ अपनी आवाज को एक अलग पहचान दी और 'गा रहा है आसमां', 'बड़े अच्छे लगते हैं' को कालजयी बना दिया. कई बार जब म्यूजिक डायरेक्टर्स को लगता कि वो किशोर दा की फीस अफॉर्ड नहीं कर पाएंगे तो वो अमित कुमार को उस प्रोजेक्ट के लिए हायर कर लिया करते थे.


मन्ना डे के साथ जुगलबंदी


'पड़ोसन' फिल्म इतिहास की सबसे बेहतरीन कल्ट क्लासिक कॉमेडी है. फिल्म में सुनील दत्त, महमूद के अलावा किशोर कुमार भी थे. फिल्म के सबसे मजेदार गाने 'चतुर नार' की जब रिकॉर्डिंग की जा रही थी तो वहां भी अफरा तफरी मच गी थी. उस समय इसे कंपोज आरडी बरमन कर रहे थे. उन्होंने मन्ना डे को बोला था कि 'देखो तुम गाने में अंत में थोड़ा हारना है', लेकिन जैसे ही गाने की रिकॉर्डिंग शुरू हुई किशोर कुमार शुरू से ही दबदबा बनाने लगे.



मन्ना डे पूरे कॉन्फिडेंस के साथ गाते लेकिन किशोर कुमार डबल कॉन्फिडेंस के साथ अपने ही अंदाज में कुछ इधर-उधर कर देते. बीच में एक धुन आती है जिसमें मन्ना डे बड़े ही सुर में 'ऐड़ा ऐड़ा' गा रहे होते हैं तभी अचानक किशोर कुमार को न जाने क्या होता है वो चिल्ला देते हैं 'अरे ऐड़े ओ ऐड़े'. मन्ना डे घबरा कर बरमन साहब की ओर देखते हैं. बरमन साहब उन्हें ओके का इशारा कर रिकॉर्डिंग चालू रखने के लिए कहते हैं.


मन्ना डे का कहना था कि किशोर के साथ काम करना यानी हर कदम पर सरप्राइज के लिए तैयार रहना. वो कभी भी कुछ भी कर देते. किशोर दा के अंदर का बचपना ही था कि उनके गानों में एक अलग ही सादगी नजर आती है. यही वजह है कि जितना उनके गानों को याद किया जाता है उससे कहीं ज्यादा उनसे जुड़े किस्सों को.



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