नई दिल्ली: मीना कुमारी (Meena Kumari) भारतीय सिनेमा की वो एक्ट्रेस जिसकी मौजूदगी से फिल्में हिट हुआ करती थीं. फिल्म में उनका होना ही बहुत बड़ी बात हुआ करती थी. धर्मेंद्र (Dharmendra) से लेकर राजकुमार (Rajkumar) उनके साथ फिल्मों में काम करने  के लिए हाथ जोड़े घूमा करते थे. जिंदगी में इतना प्यार पाने वाली मीना कुमारी का जीवन दुखों से भरा था.


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एक परिवार था जो नहीं चाहता था कि वो शादी करे एक पति था जो उन्हें दूसरी बीवी से ज्यादा और कुछ नहीं दे पाया. इस पत्थरदिल दुनिया में मीना कुमारी एक कतरा प्यार के लिए तरसती रहीं. आइए उनकी जिंदगी से जुड़े प्यार के पन्नों को खोलते हैं,


कमाल अमरोही से पहली मुलाकात


कमाल अपनी फिल्म के लिए एक बाल कलाकार की तलाश कर रहे थे. तब मीना 5 साल की ही थी. जब वो 14 की हुई तो कमाल ने उन्हें 'अनारकली' फिल्म में लिया. उस दौरान वो एक हादसे का शिकार हो गई. कमाल मीना का बहुत ध्यान रखते. रोजाना मीना के लिए फूल ले जाते. खतों के जरिए शायरी से वो अपने दिल का हाल बताते. फिर क्या चुपके से 14 फरवरी 1952 को शादी कर ली लेकिन अपने पिता से काफी समय तक उन्होंने ये हकीकत छिपा कर रखी.



मीना कुमारी की घेराबंदी


जब मीना कुमारी के पिता को पता चला कि उन्होंने चोरी छिपो शादी कर ली है तो वे लगातार उन पर तलाक का दबाव बनाने लगे. आखिरकार मीना को पिता का घर छोड़ना ही पड़ा. कमाल अमरोही का दूसरा रूप मीना नहीं जानती थी. कमाल बेहद शकी किस्म के आदमी थे. मीना शूटिंग से शाम साढ़े 6 बजे से पहले लौट जाती थीं. उनके मेकअप रूम में कोई भी पुरुष नहीं जा सकता था. साथ ही बाहर अकेले जाने की इजाजत तक उन्हें नहीं थी.



सरेआम जब मीना को किया गया जलील


मीना इन पाबंदियों का उल्लंघन न करे इसके लिए कमाल ने अपने असिस्टेंट बकर अली को जासूसी के लिए छोड़ रखा था. एक दिन गुलजार साहब मीना कुमारी के मेकअप रूम में चले गए. कमाल के असिस्टेंट ने ही सबके सामने मीना को थप्पड़ जड़ दिया. मीना ने इसकी जानकारी कमाल तक पहुंचाई लेकिन कमाल ने कोई एक्शन नहीं लिया. मीना कुमारी ने उनका घर छोड़ दिया.



नींद न आना


हालात ऐसे थे कि मीना कुमारी सारी-सारी रात सो नहीं पाती थी. ऐसे में उन्हें एक गिलास ब्रांडी पीने की सलाह दी गई. ब्रांडी कब दवा से ज्यादा जरूरत बन गई पता ही नहीं चला. वो शराब के बिना रह ही नहीं पाती. हालत बहुत खराब थी. इस दौरान अपने पति की 'पाकीजा' में काम किया. वो जानती थी कि वो ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है इसलिए जल्दी से शूट पूरा किया. कहते हैं कि आखिरी शॉट के दौरान ही उनकी तबियत खराब हो गई थी.



ट्रेजडी क्वीन


उनके इन आंसूओं ने उन्हें ट्रेजडी क्वीन की उपाधि दी. जिंदगी के दुखों ने उन्हें पत्थरदिल बना दिया. फिर क्या पत्थर बटोर कर अपने पास रख लेतीं. रात में अपने बिस्तर पर पत्थरों के साथ सोती और उनसे बात किया करती थीं. जब उनसे पूछा गया कि पत्थरों से इतना लगाव क्यों? तो कहती हैं कि 'ये पत्थर इतने अच्छे हैं कि खामोश रहते हैं जब मैं हंसती हूं तो हंसते हैं तब मैं रोती हूं तो रोते हैं. जब मैं इन्हें डांटती हूं तो खामोश रहते हैं.'


31 मार्च 1972 को मीना कुमारी ने अपनी आखिरी सांस ली. उनके आखिरी शब्द यही थे कि वो मरना नहीं चाहती. वो आई पर्दे पर चमकीं और हमेशा के लिए एक सितारा बन गईं.



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