Mirzapur 3 Twitter Review: `मुन्ना भइया` की खली कमी, भौकाल मचाने से चूके पंकज त्रिपाठी
Mirzapur Season 3 Twitter Review: प्राइम वीडियो की सीरीज `मिर्जापुर सीजन 3` आखिरकार लंबे इंतजार के बाद दर्शकों के बीच स्ट्रीम हो गई है. वहीं, अब दर्शकों ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करनी शुरू कर दी है. चलिए जानते हैं लोगों का क्या कहना है.
Mirzapur Season 3 Twitter Review: अमेजॉन प्राइम वीडियो की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज 'मिर्जापुर 3' आखिरकार दर्शकों के बीच दस्तक दे चुकी है. सीरीज के पिछले दोनों ही सीजन्स बहुत शानदा रहे. इसी कारण तीसरे सीजन के लिए भी काफी उत्सुकता देखने को मिली. अब सीरीज की स्ट्रीमिंग के बाद दर्शकों ने सोशल मीडिया पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करनी शुरू कर दी है. सीरीज को लेकर मिले-जुले रिएक्शन्स मिल रहे हैं. चलिए जानते हैं कि लोगों ने क्या कहा.
पंकज त्रिपाठी लगे शोपीस
'मिर्जापुर 3' देखने के बाद एक यूजर ने लिखा, 'मिर्जापुर के 7 एपिसोड देख लिए हैं. यह तो डिजास्टर है. पंकज त्रिपाठी शोपीस लग रहे हैं. 'मिर्जापुर' के तीसरे सीजन में यह बात समझ ही नहीं आ रही कि इसके मुख्य किरदारों को उनकी पूरी क्षमता तक कैसे उपयोग किया जाए. 'मिर्जापुर' मुन्ना भैया की थी है और रहेगी, मुन्ना भैया नहीं तो मिर्जापुर नहीं.'
'बेटा तो बापूजी का है'
कई यूजर्स ने सीरीज से एक क्लिप शेयर करते हुए लिखा, 'बेटा तो बाबूजी का ही है. मिर्जापुर सीजन 3 गजब भौकाल है रे बाबा, कंट्रोल, पॉवर, इज्जत.' वहीं, एक और यूजर ने जाहिए किया कि उन्हें सीरीज में मुन्ना भइया की कमी काफी खली. उन्होंने लिखा, 'मुन्ना भइया के बिना मिर्जापुर, मिर्जापुर ही नहीं है, लेकिन फिर से एक शानदार एक्टर रहे.'
पहला सीजन था शानदार
एक अन्य यूजर ने लिखा, 'यह सीरीज शानदार लिखी और बनाई गई है. सभी ने बहुत अच्छा काम किया है. अगले सीजन के लिए कालीन ने गुड्डू और गोलू के खिलाफ मुख्यमंत्री से हाथ मिलाया. हालांकि, 'मिर्जापुर' का पहला सीजन ही अभी तक का सबसे अच्छा रहा.'
9 घंटे हुए बर्बाद
एक और यूजर ने लिखा, 'मिर्जापुर 3 बीच में कई जगहों पर धीमी पड़ जाती है. इसमें बहुत सारे ट्वीस्ट हैं, लेकिन 8वें एपिसोड की क्रूर हत्या वाला सीन कमजोर दिल के लोग न देखें. सारे राज सामने आ गए हैं.' अन्य एक यूजर ने लिखा, 'मिर्जापुर सीजन 3 को देखकर बहुत निराशा हुई. 9 घंटे बर्बाद कर दिए. शुरुआत के 6 घंटे इसके किरदारों को ही पेश करने में लगा दिए. यह रुकने पर मजबूर नहीं कर पाई. कालीन भइया और मुन्ना भइया का चार्म नजर ही नहीं आया. बहुत बुरा स्क्रीनप्ले था.'