Nargis Dutt Special: 'आवारा', 'श्री 420', 'मदर इंडिया', 'चोरी चोरी', 'बरसात' और 'बाबुल' जैसी तमाम फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदाकारी का जौहर दिखाने वाली अदाकारा नरगिस दत्त, कभी इंडस्ट्री का सबसे चमकता हुआ सितारा माना जाती थीं. उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर अपने अभिनय का ऐसा कमाल दिखाया कि हर कोई उनका दीवाना हो गया. वहीं, अपनी खूबसूरती से भी वह लाखों दिलों पर छाप छोड़ चुकी थीं. नरगिस को बहुत लंबी जिंदगी तो नहीं मिली, लेकिन उन्होंने अपने हर पल को पूरी जिंदगादिली से जिया और 3 मई 1981 को हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. चलिए आज उनकी जिंदगी के कुछ अहम पहलू जानते हैं.


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6 साल की उम्र में शुरू हुआ करियर


महज 6 साल की उम्र से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वालीं नरगिस उस एक्ट्रेसेस में थीं, जो अपने दम पर फिल्मों को हिट करवाने की काबिलियत रखती थीं. कम ही लोग जानते होंगे कि नरगिस का असली नाम 'फातिमा रशीद' था. उनकी मां जद्दनबाई ने अपने सिर से कर्ज उतारने के लिए बेटी की इंडस्ट्री में कराई और उन्हें स्क्रीन नेम दिया गया नरगिस, जो बाद में इतना मशहूर हुआ कि यह हमेशा के लिए एक्ट्रेस के साथ जुड़ गया.


सुनील दत्त संग खूबसूरत चल रही थी जिंदगी


वैसे तो कई सालों तक नरगिस का नाम राज कपूर के साथ जुड़ा. हालांकि, वह पहले से शादीशुदा थे. ऐसे में जब दोनों का रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया तो नरगिस ने कुछ सालों बाद उनसे दूरियां बना लीं. इसके दौरान फिल्म 'मदर इंडिया' के सेट पर एक्ट्रेस की मुलाकात सुनील दत्त से हुई. इसके बाद नरगिस और सुनील ने शादी कर ली. दोनों तीन बच्चों- संजय दत्त, प्रिया दत्त और नम्रता दत्त के माता-पिता बने. सब ठीक चल रहा था, लेकिन इनकी जिंदगी में भूचैल तब आया जब परिवार को पता चल कि नरगिस को पेंक्रियेटिक कैंसर हैं.


कोमा में चली गई थीं नरगिस


कुछ समय पहले उनकी बेटी नम्रता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि नरगिस के कैंसर की खबर से पूरे परिवार की जिंदगी रातों-रात बदल गई थी. उन्हें बेहतर इलाज के लिए अमेरिका ले जाया गया. इस दौरान नरगिस ट्रॉमा के कारण कोमा में भी चली गईं, लेकिन फिर एक दिन उनका हाथ हिला. डॉक्टर्स ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि अब उनका ब्रेन पहले जैसा काम नहीं कर पाएगा. कोमा से बाहर आने के बाद शुरू हुआ कीमोथेरेपी का सिलसिला. इस लंबे इलाज से नरगिस पूरी तरह बदल चुकी थीं.


खुद को देख घबरा गई थीं नरगिस


इलाज के काफी समय बाद उन्हें मुंबई वापस लाया गया. नम्रता ने बताया कि एक बार जब परिवार उन्हें बाहर घूमाने ले जा रहा था, तब वह तैयार होने लगीं और ऐसे में उन्होंने कई महीनों के बाद शीशे में अपना चेहरा देखा, वह खुद को आईने में इतनी घबरा गई कि फूट-फूटकर रो पड़ीं. कीमोथेरेपी के कारण उनके बाल झड़ चुके थे, स्किन जल चुकी थी, वह काफी कमजोर हो गई थीं. उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि वो इतनी बदल गई हैं. इसके कुछ समय बाद 3 मई, 1981 को अपनी आखिरी सांस ली. उस समय वह सिर्फ 51 साल की थीं.


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