नई दिल्ली: Jharana Das Death: ओडिया फिल्म इंडस्ट्री से एक दुखद खबर सामने आई है. दिग्गज अभिनेत्री झरना दास का निधन हो गया. उन्होंने 1 दिसंबर की देर रात कटक के चांदनी रोड स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. उन्होंने 77 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. रिपोर्ट्स की मानें तो अभिनेत्री वृद्धावस्था की बीमारियों से पीड़ित थीं और पिछले कुछ समय से झरना दास की तबियत ठीक नहीं थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उनके निधन पर शोक जताया.


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अभिनेत्री झरना दास का निधन


राष्ट्रपति मुर्मू ने ट्वीट किया, 'उड़िया फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री झरना दास के निधन की जानकारी मिलने से दुखी हूं. उड़िया फिल्म उद्योग में योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा. मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार एवं उनके शुभचिंतकों के साथ हैं.' मुख्यमंत्री पटनायक ने घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. उन्होंने एक बयान में कहा, 'रंगमंच और फिल्मों में उनके प्रभावशाली प्रदर्शन को हमेशा याद किया जाएगा. उनकी आत्मा को शांति मिले और शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.'


अभिनेत्री झरना दास का निधन


धर्मेंद्र प्रधान ने भी दास के निधन पर शोक व्यक्त किया. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कटक में किया जाएगा. वर्ष 1945 में जन्मी झरना दास ने 1960 के दशक में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और 'श्री जगन्नाथ', 'नारी', 'आदिनामेघ', 'हिसाबनिकस', 'पूजाफुला', 'अमादबता' 'अभिनेत्री', 'मलजान्हा' और 'हीरा नैला' जैसी ऐतिहासिक फिल्मों में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते.


कटक में किया जाएगा अंतिम संस्कार 


झरना दास ने ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी), कटक के साथ एक बाल कलाकार और उद्घोषक के रूप में तथा बाद में कटक में दूरदर्शन के सहायक स्टेशन निदेशक के रूप में भी काम किया था. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण महताब के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र में उनके निर्देशन की लोगों ने सराहना की थी. दास एक प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांगना भी थीं. उन्हें 2016 में गुरु केलुचरण महापात्र पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.


ओडिशा सिने आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के सचिव, श्रीतम दास ने उन्हें विनम्र और बहुत ही मिलनसार इंसान बताया. श्रीतम दास ने कहा, 'जब उन्होंने अभिनय की शुरुआत की थी उस समय महिलाओं के लिए रंगमंच और फिल्मों में अभिनय करने पर प्रतिबंध था. उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और कलाकार के रूप में उनका करियर काफी ऊंचाई तक पहुंचा.'


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