Raju Srivastava Early Life: पिता थे कवि, कभी मुंबई में आकर चलाया था ऑटो, जानें कितना मुश्किल था राजू श्रीवास्तव का करियर
Raju Srivastava Early Life: दुनिया भर के फैन्स को अपने मजाकिया अंदाज से गुदगुदाने वाले लोकप्रिय कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने लंबी बीमारी से जिंदगी की जंग हारने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया है. राजू श्रीवास्तव पिछले 40 दिनों से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे और जिंदगी की जंग लड़ रहे थे. राजू श्रीवास्तव जिम में कसरत कर रहे थे जहां पर वो अचानक ही गिर गये थे, इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
Raju Srivastava Early Life: दुनिया भर के फैन्स को अपने मजाकिया अंदाज से गुदगुदाने वाले लोकप्रिय कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने लंबी बीमारी से जिंदगी की जंग हारने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया है. राजू श्रीवास्तव पिछले 40 दिनों से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे और जिंदगी की जंग लड़ रहे थे. राजू श्रीवास्तव जिम में कसरत कर रहे थे जहां पर वो अचानक ही गिर गये थे, इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि नाजुक सुधार के बाद उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था.
भले ही राजू श्रीवास्तव के नाम को आज दुनिया भर में हर कोई जानता है लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों में काम मिलने के बावजूद कोई नहीं जानता था. इसके चलते उनका शुरुआती करियर संघर्षों से भरा रहा था.
पिता से मिली थी हंसाने की कला
फैन्स के बीच गजोधर, बिरजू और मनोहर जैसे पात्रों को जीवंत करने वाले राजू श्रीवास्तव को बचपन से ही मिमिक्री करने का शौक था और वो अक्सर अमिताभ बच्चन की नकल करते हुए नजर भी आते थे. लोग उनकी मिमिक्री के टैलेंट इतने दीवाने थे कि बचपन से ही उन्हें फंक्शन या जन्मदिन की पार्टी में बतौर कॉमेडियन बुलाया करते थे. राजू श्रीवास्त्व को हंसाने की कला उनके पिता से मिली थी. बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि राजू श्रीवास्तव के पिता भी मशहूर हास्य कवि थे, जिन्हें लोग बलाई काका के नाम से जानते थे.
दो दशक तक करना पड़ा था संघर्ष
राजू श्रीवास्तव अपने पिता से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और वो उन्हीं की तरह लोगों को हंसाकर उनसे बड़ा नाम बनाना चाहते थे. इसी इच्छा ने उनकी मिमिक्री की कला को पहचान दिलाई और उन्होंने छोटे-छोटे स्टेज शो में रोल करना शुरू कर दिया. इसी चाहत के लिये राजू श्रीवास्त्व मुंबई चले आये और छोटे-मोटे रोल करने लगे. हालांकि लगभग दो दशक तक फिल्मों में काम करने के बावजूद राजू श्रीवास्तव को वो पहचान नहीं मिली थी जिसके वो हकदार थे.
ऑटो चलाकर किया था गुजारा
बीच में राजू श्रीवास्तव को काम मिलना भी बंद हो गया था और इसके चलते वो मुंबई की सड़कों पर ऑटो चलाने पर मजबूर हो गये. राजू श्रीवास्तव इस दौरान भी अपने साथ बैठने वाले यात्रियों को हंसाते हुए ले जाते थे. हालांकि उनकी किस्मत ने भी करवट ली जब उन्हें ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ का शो मिला. पहली बार फैन्स को राजू श्रीवास्तव का वो अंदाज देखने को मिला जिसने उन्हें घर-घर तक पहुंचा दिया. शो के दौरान राजू श्रीवास्तव भले ही विजेता नहीं बन सके और तीसरे पायदान पर रहे लेकिन ग्रामीण परिवेश में ढले उनके जोक्स ने देश भर को उनका दीवाना बना दिया.
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