पाकिस्तान की जेल में दम तोड़ने वाले सरबजीत की बहन का निधन, रणदीप हुड्डा ने मुखाग्नि देकर पूरा किया ये वादा
पाकिस्तान की जेल में दम तोड़ने वाले सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का निधन हो गया है. अब उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रणदीप हुड्डा भी अमृतसर पहुंचे. उन्होंने ही दलबीर को मुखाग्नि दी.
नई दिल्ली: बीते रविवार को सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) की बहन दलबीर कौर (Dalbir Kaur) का निधन हो गया. यह दुखद खबर सुनते ही बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) तुरंत मुंबई से उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकल पड़े. दरअसल, 2016 में सरबजीत सिंह पर बायोपिक में रणदीप ने सरबजीत का किरदार निभाया था, जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) उनकी बहन यानि दलबीर कौर बनी थीं. इसी दौरान रणदीप ने दलबीर कौर के साथ काफी वक्त बिताया था. ऐसे में दोनों का रिश्ता काफी अच्छा हो गया था.
दिल का दौरा पड़ने से हुआ दलबीर कौर का निधन
दलबीर कौर, रणदीप को अपना भाई मानने लगी थीं. उन्होंने एक्टर से वादा भी लिया था कि जब वह मर जाएंगी तो रणदीप उन्हें कंधा देने के लिए आएंगे. अब आखिरकार रणदीप ने अपने उस वादे को पूरा किया. दलबीर को तबीयत बिगड़ने के कारण अमृतसर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. रणदीप को जैसे इस बात की जानकारी मिली वह तुरंत अमृतसर के लिए रवाना हो गए.
रणदीप हुड्डा ने दी मुखाग्नि
रणदीप रविवार को दलबीर कौर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. उन्होंने इस दौरान दलबीर को सिर्फ कंधा ही नहीं दिया, बल्कि रणदीप ने ही उन्हें मुखाग्नि भी दी. दलबीर और रणदीप का ये भाई-बहन का रिश्ता बहुत पवित्र और खूबसूरत बन चुका था.
जानिए क्या है सरबजीत की कहानी
गौरतलब है कि 1990 में सरबजीत सिंह नशे की हालत में पाकिस्तान पहुंच गए थे, जहां पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और उन पर बम धमाकों में शामिल होने का आरोप लगाया. सरबजीत को भारत का जासूस बताया गया. इसके बाद पाकिस्तान की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. इस दौरान दलबीर कौर ने अपने भाई को बचाने के लिए हर कोशिश कर डाली. उन्होंने भारत सरकार से लेकर पाकिस्तान सरकार हर सभी से मदद की गुहार लगाई.
दलबीर कौर ने लड़ी थी लंबी लड़ाई
दलबीर कौर कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार इसमें जीत भी गईं, लेकिन जिन दिन सरबजीत सिंह को रिहाई दी जानी थी उससे एक रात पहले ही कुछ कैदियों ने उन पर हमला कर दिया, जिसमें उनकी मौत हो गई. इसी सच्ची कहानी को रणदीप हुड्डा ने अपनी फिल्म में उतारा था.
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