Dvand Movie Review: गांव में आई खुशियों के बीच `द्वंद` में फंसे संजय मिश्रा और इश्तियाक खान, जानिए कैसी है फिल्म
Dvand Movie Review: संजय मिश्रा एक बार फिर दमदार अंदाज में दर्शकों के बीच पेश हो गए हैं. इश्तियाक खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उन्हें काफी अलग और मजबूत किरदार में देखा जा रहा है.
फिल्म: द्वंद- द इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट
रेटिंग- 3 स्टार
पर्दे पर- सितंबर, 29, 2023
कलाकार- संजय मिश्रा, इश्तियाक खान, विक्रम कोचर, विश्वनाथ चटर्जी
निर्देशन- इश्तियाक खान
शैली- कॉमेडी ड्रामा
नई दिल्ली: Dvand Movie Review: संजय मिश्रा भारतीय सिनेमा के उन कलाकारों में से एक हैं जो किसी भी किरदार को इतनी खूबसूरती से पर्दे पर उतारते हैं कि मानों वह अभिनय नहीं, बल्कि असल जिंदगी है. इस बार वह 'द्वंद द इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट' के साथ एक बार फिर दर्शकों के बीच हाजिर हो गए हैं. यह फिल्म शेक्सपियर के पॉपुलर नाटक 'ओथेलो' से इंस्पायर एक कॉमिक टेक है. फिल्म की कहानी और निर्देशन की कमान संभाली है इश्तियाक खान ने, जो सालों से अपनी सिनेमा और थिएटर्स में अपनी अदाकारी का जादू चलाते आ रहे हैं. इस फिल्म में उनके उस अनुभव की झलक भी दिखाई पड़ती है.
संजय मिश्रा, विक्रम कोचर, विश्वनाथ चटर्जी, फैज खान, आशीष शुक्ला और धीरेंद्र द्विवेदी जैसे कलाकारों को मुख्य किरदारों में देखा जा रहा है. फिल्म में डायरेक्टर इश्तियाक खान को दिलचस्प अंदाज में देखा जा रहा है. चलिए जानते हैं कैसी है 'द्वंद' की कहानी.
कहानी-
फिल्म की कहानी एक गांव की पृष्ठभूमि पर रची है, जहां फिल्मों को लेकर हर शख्स में एक अलग ही दीवानगी है. वहीं, भोला (इश्तियाक खान) और उसके दोस्त एक्टिंग के बेहद शौकीन हैं और फिल्मों को देखकर उसमें पूरी तरह से डूब जाते हैं. एक दिन सभी दोस्त मिलकर फिल्म 'ओमकारा' देखने के लिए जाते हैं, जिसे देखने के बाद वह इससे बाहर ही नहीं आ पाते और ठान लेते हैं कि अब वह भी एक नाटक बनाएंगे. इसके बाद शहर ने गुरुजी (संजय मिश्रा) को गांव लाया जाता है, जो इस नाटक में निर्देशक के तौर पर जुड़ते हैं.
नाटक बनने की खबर से पूरे गांव में खुशी और उत्सुकता साफ नजर आने लगती है. अब सबके समक्ष मुश्किल ये खड़ी हो जाती है कि आखिर नाटक में हिरोइन किसे चुना जाए, क्योंकि पूरे गांव में कोई भी महिला ऐसी नहीं है जिसे अभिनय का थोड़ा-बहुत भी ज्ञान हो. गांव की एक महिल रजिया में उम्मीद की किरण नजर आती है, लेकिन अब समस्या ये है कि उसका पति सुलेमान पिछड़ी विचारधारा का शख्स है, जो कभी अपनी बेगम को किसी का नाटक का हिस्सा बनाने के लिए राजी नहीं होगा.
खैर, तमाम मुश्किलों के बाद आखिरकार रजिया को नाटक के लिए शामिल कर लिया जाता है. अब नाटक पर काम शुरू होता है, लेकिन भोला को उसके पसंद का किरदार नहीं दिया जाता. ऐसे में उसके मन में डायरेक्टर गुरुजी के लिए नाराजगी और द्वेष का भावना जागृत हो जाती है. हालांकि, वह उनसे कुछ कह नहीं पाता. इस बीच अब ये देखना रोमांचक होता है कि भोला अब भी नायक का हिस्सा रहेगा या नहीं? क्या वह गुरुजी की बात मानकर उनके अनुसार काम करता रहेगा या फिर कोई साजिश रचेगा? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
अभिनय
अभिनय की बात करें तो संजय मिश्रा ने गुरुजी के रोल में एक बार फिर खुद का साबित किया. वहीं, डायरेक्टर के होने के बावजूद इश्तियाक खान ने भी भोला के किरदार को बहुत खूबसूरती से पेश किया. उसके अभिनय में एक आर्टिस्ट की झलक साफ देखने को मिलती है. विक्रम कोचर और विश्वनाथ चटर्जी सहित बाकी कलाकार भी अपने किरदारों के साथ इंसाफ करते नजर आ रहे हैं.
निर्देशन
इश्तियाक खान खुद काफी समय से अभिनय की दुनिया से जुड़े हैं. ऐसे में उन्हें इस बात की अच्छी समझ हो चुकी है कि किस कहानी या किरदार को कैसे पर्दे पर उतारना है. 'द्वंद' देखकर कई जगहों पर थिएटर की छाप नजर आती है. हालांकि, कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी धीमी और खिंची हुई लगती है, लेकिन जो लोग थिएटर प्रेमी और रियलस्टिक कहानियों को पसंद करते हैं उन्हें ये फिल्म भी जरूर पसंद आएगी.
ये भी पढ़ें- 'शोले' का कालिया बनने के लिए विजू खोटे को मिली थी इतनी फीस, सिर्फ 7 मिनट के सीन ने कर दिया मशहूर