जब दिलीप कुमार के `चमत्कार` से वापस आई मोहम्मद रफी की आवाज, सायरा बानो ने सुनाया गुजरे जमाना का दिलचस्प किस्सा
सायरा बानो कुछ समय से लगातार सोशल मीडिया पर गुजरे जमाने के किस्से शेयर कर रही हैं. इस बार उन्होंने मोहम्मद रफी को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए गुजरे जमाने का एक बहुत दिलचस्प किस्सा सुनाया है, जो दिलीप कुमार से भी जुड़ा है.
नई दिल्ली: दिग्गज अदाकारा सायरा बानो (Saira Banu) पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहने लग हैं. वह दिवंगत पति और भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार से जुड़े किस्से शेयर करती रहती हैं. हालांकि, बुधवार को उन्होंने दिवंगत सिंगर मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद करते हुए उनकी और दिलीप साहब की पुरानी फोटो शेयर की है. इसके साथ कैप्शन में उन्होंने एक लंबा-चौड़ा नोट लिखा और एक दिलचस्प किस्सा भी शेयर किया है.
सायरा बानों ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
सायरा बानो ने इस पोस्ट में लिखा, 'पार्श्व गायकों में से एक मोहम्मद रफी साहब विभिन्न शैलियों के गीतों में प्रतिभाशाली थे. इस महान गायक के पास भावना और ऊर्जा का मिश्रण था, जिसकी वजह से हजारों भावपूर्ण गाने बनाए गए.
वैसे तो कई बेहद प्रतिभाशाली पार्श्व गायक हुए हैं, लेकिन रफी भाई के साथ एक रहस्यमय बंधन रहा है, जैसे कि वह मेरा ही हिस्सा थे. रफी भाई को भगवान का वरदान था कि वह फिल्म के किसी भी हालत, किसी भी कैरेक्टर, मूड या टाइम के अनुसार अपनी आवाज मोल्ड कर सकते थे.'
बॉर्डर पर गए थे रफी और दिलीप साहब
उन्होंने आगे लिखा, 'साहिब और रफी भाई ने फिल्म 'कोहिनूर' के गाने 'मधुबन में राधिका नाचे रे' के लिए साथ काम किया था. साहिब ने परफेक्ट सीन के लिए 7-8 महीनों तक सितार पर प्रैक्टिस की थी. मैं 1962 में हुए भारत-चीन वॉर का हवाला देते हुए कहूंगी, जिसे मेरे पति, महान दिलीप साहब ने बहुत प्यार से याद किया है. भारतीय सिनेमा के दो दिग्गज बॉर्डर पर जवानों का मनोरंजन करने के लिए सीम पर थे, लेकिन तभी अचानक रफी भाई को गले का इंफेक्शन हो गया और उनकी आवाज चली गई. वहीं, जवान उन्हें सुनने के लिए उत्साहित थे. ऐसे में रफी भाई काफी निराश हो गए.'
लौट आई मोहम्मद रफी की आवाज
सायरा बानो ने लिखा, 'जवान जो गाने लाइव परफॉर्मेंस में रफी भाई से सुनना चाहते थे वह उन्हें अपने पसंदीदा गीत कागज पर उन्हें लिखकर भेजने लगे. इस दौरान दिलीप साहब उन्हें शहद और अदरक का मिश्रण बनाकर देते रहे. उन्होंने यह नुस्खा घर पर अपनी मां से सीखा था. रफी भाई भी एक अच्छे लड़के तरह यह पीते रहे. और देखो अगले कमाल हो गया. जब वह सुबह उठे और उन्होंने अपना गला साफ किया तो उन्हें फिर से अपनी वही मखमली और खूबसूरत आवाज सुनाई दी.'
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