`जेठालाल` को वेब सीरिज की गालियों पर गुस्सा आया
जेठालाल एक संस्कारी भारतीय का चरित्र है इसलिये जेठालाल को मुगलई संस्कृति की जुबान अर्थात गालियों पर घोर आपत्ति है खासतौर पर वो गालियां जो वेबसिरीज में जबर्दस्ती घुसाई जाती हैं..
नई दिल्ली. कोई व्यक्ति दरअसल है क्या, ये उसकी भाषा से पता चलता है. भाषा से ही इन्सान की सोच और उसके संस्कारों का पता चलता है. ऐसे में कम से कम कोई तो सामने आया जिसने आवाज उठाई, वर्ना भारतीय संस्कृति को गंदा करने के लिये चल रही बहुत सी साजिशों में से एक ये भी कामयाबी की तरफ ही बढ़ जाती. गालियां भारत की धरोहर नहीं हैं. माताओं बहनों के अंगों और अवैध यौन संबन्धों पर बनाई गई ये गंदी गालियां भारत को मुगलों की देन है. जिस संस्कृति के जीवन में जो संस्कार हैं वही उनकी भाषा में भी दिखाई देते हैं. किन्तु भारत की सात्विक संस्कृति को भाषाई तौर पर गंदा करने का अधिकार किसी को नहीं है.
नवदुर्गा की पूजा होती है भारत में
भारत वह देश है जिसमें नारी पैरों की जूती नहीं होती, देवी-स्वरूप होती है. जन्मते ही उसे लक्ष्मी का रूप माना जाता है. विवाह-पूर्व तक वह दुर्गा का रूप होती है और विवाह के बाद मां बन कर फिर वह मातृशक्ति भगवान से भी पहले होती है. जिस देश में नवरात्रि पर नौ दिन नवदुर्गा उत्सव मनाया जाता है और देश भर में दुर्गा मां की पूजा होती है उसी देश की आम संस्कृति में मुगलों ने मां की गन्दी गाली आम कर दी है. आमजनों को यह बताने और जानने की जरूरत है कि गालियां हिन्दी के शब्द नहीं हैं बल्कि उस बाहरी मुगल भाषा के शब्द हैं जिसके बोलने वालों को म्लैच्छ माना जाता था और ऐसी भाषा तथा ऐसी सोच आभिजात्य नहीं है, सड़कछाप संस्कृति है.
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दिलीप जोशी ने लगाई फटकार
तारक मेहता का उल्टा चश्मा के सर्वप्रमुख चरित्र 'जेठालाल' की लोकप्रियता सभी मनोरंजन सीरियल्स के लोकप्रिय कलाकारों में सबसे ऊपर है. जेठालाल अर्थात दिलीप जोशी जैसा संस्कारी चरित्र निभा रहे हैं, अपने व्यक्तिगत जीवन में भी उन्हीं संस्कारों को जीते हैं. दिलीप जोशी ने वेब सिरीज़ में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली गालियों पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने ऐसे कंटेन्ट को तैयार करने वाले निर्माताओं और लेखकों को फटकार लगाते हुए बेहतर कंटेन्ट के निर्माण की नसीहत भी दी.
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''बिना वजह इस्तेमाल होती हैं गालियां''
बिना वजह इस्तेमाल होने वाली इन गालियों पर गुस्साते हुए दिलीप जोशी ने कहा कि बिना गालियों के भी बेहतर कंटेंट बनाया जा सकता है. राज कपूर जी, ऋषिकेश मुखर्जी और श्याम बेनेगल जैसे दिग्गजों को गाली इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी, उन्होंने बिना गाली के शानदार काम करके दिखाया है.
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