नई दिल्ली: इतिहास के पन्नों में कुछ लोगों को वो तवज्जो नहीं मिलती जिसके वो हकदार होते हैं. हैदराबाद के निजाम मोअज्जाम जाह के ब्याही गई राजकुमारी नीलोफर के साथ भी कुछ ऐसा भी हुआ है. वो इतनी खूबसूरत थी कि उन्हें 'हैदराबाद का कोहिनूर' कहा जाता था.'वॉग' ने उन्‍हें दुनिया की दस सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक बताया था. उनके द्वारा हैदराबाद में शुरू किया गया लेडीज हॉस्पिटल आज भी शहर के बेस्ट मैटरनिटी हॉस्पिटल्स में शुमार है.


स्टाइल और फैशन के लिए मशहूर थी नीलोफर


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अपनी स्टाइल और फैशन के लिए पॉपुलर रहीं नीलोफर की साड़ियां मुंबई (Mumbai) के टॉप के डिजाइनर बनाया करते थे. अपने जमाने में वो युवतियों की आइकन हुआ करती थीं, उनकी सुंदरता की दुनिया कायल थी. उन्हें बॉलीवुड (Bollywood) और हॉलीवुड (Hollywood) से ​फिल्मों के ऑफर भी मिला करते थे लेकिन फिर भी उनकी चर्चा कम ही होती है.



फिलहाल आज उनका बर्थडे है. दरअसल जब तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य का सूरज लगभग ढल गया था तब 04 जनवरी 1916 को तुर्की के इस्तांबुल में राजकुमारी नीलोफर का जन्म हुआ. 1918 में प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की को करारी हार का सामना करना पड़ा. उसी समय उनके पिता की भी मौत हो गई. इसके चलते 1924 में उन्हें फ्रांस की राजधानी पेरिस में शरण लेनी पड़ी थी. जहां उन्हें आम लोगों की तरह जीवन व्यतीत करना पड़ा.


16 साल की उम्र में इसके साथ हो गया था निकाह


1931 में मात्र 16 साल की उम्र में नीलोफर का निकाह हैदराबाद (Hyderabad) के आखिरी निजाम के दूसरे बेटे मोअज्जाम जाह से हो गई. उसके बाद वो हैदराबाद आ गई. हैदराबाद के निजाम की गिनती उस समय दुनिया के सबसे धनी लोगों में होती थी.


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शादी के कुछ ही समय बाद नीलोफर फैशन आइकन बन गई. उस समय निजाम के परिवार में महिलाएं पर्दा करती थी लेकिन नीलोफर ने कभी ऐसा नहीं किया. उन्होंने हैदराबाद की पार्टियों, समारोहों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. जल्द ही उनकी साड़ी, उनकी पसंद की ज्वैलरी, उनकी जीवन शैली चर्चा का विषय बन गई. फोटोग्राफर उनकी फोटो खींचने के लिए बेताब रहने लगे. अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी उनकी खूबसूरती के कसीदे गढ़ने लगा. तुर्की से आई इस राजकुमारी ने भारतीय साड़ी को फैशन की दुनिया में नई उंचाई पर पहुंचाया.


..और फिर पेरिस से लौटकर कभी भारत नहीं आईं


1948 में हैदराबाद के भारत विलय के कुछ समय पहले ही वो पेरिस चली गई. उसके बाद वो वापस हैदराबाद लौटकर नहीं आई. कहा जाता है कि नीलोफर की मोअज्जाम जाह से शादी सफल नहीं रही. हजार कोशिशों के बावजूद वो मां नहीं बन सकीं, जिस वजह से दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आती चली गई. 1952 में उन्होंने निजाम से तलाक भी ले लिया जिसमें उन्हें मोटी रकम मेहर के तौर पर मिली. इस रकम का बड़ा हिस्सा उन्होंने हैदराबाद में महिलाओं और बच्चों के लिए एक अस्पताल बनाने में दे दिया.



यह अस्पताल आज भी शहर के बेस्ट मैटरनिटी हॉस्पिटल्स में शुमार है. करीब 11 साल तक अकेले रहने के बाद नीलोफर ने 1964 में एडवर्ड पोप नाम के शख्स से दोबारा शादी रचाई. 1989 में नीलोफर की मौत हो गई. उन्हें पेरिस में ही दफना दिया गया. 


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