जब गंदगी हद से अधिक बढ़ जाती है तो रगड़-रगड़कर सफाई करना ही एक मात्र उपाय बचता है. इन दिनों बॉलीवुड का जो नशेड़ी चेहरा सामने आया है, उससे ये साफ होता दिखाई दे रहा है कि चमकती-धमकती इस इंडस्ट्री में छिपी गंदगी की सफाई का वक्त आ चुका है.


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जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने Bollywood को थाली बताया, लेकिन वो शायद ये भूल गईं कि उस थाली में एक कटोरी भी रखी है, जिसमें ड्रग्स भरा हुआ है. बॉलीवुड की थाली में रखे ड्रग्स की कटोरी का सेवन करने वालों की तादाद हद से ज्यादा बढ़ गई है. वो कहावत है न "एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है", कुछ इसी प्रकार इस कटोरी ने पूरी थाली की असलियत को बेनकाब कर दिया है. अब जब बॉलीवुड के इस गंदे सच के सामने आने का सिलसिला शुरू हुआ तो 'नशेड़ी खेमे' को इस बात का डर सताने लगा कि कहीं मेरा ड्रगी चेहरा भी बेनकाब ना हो जाए.



उन नशेड़ियों को एक हिदायत जरूर लेनी चाहिए, कि तुम चाहें जितनी तिकड़मबाजी कर लो. लेकिन तुम्हारी असलियत इस बार सामने आकर रहेगी. क्योंकि किसी ने बहुत खूब फरमाया है कि "बकरे की मां कबतक खैर मनाएगी?" ड्रग्स कनेक्शन सामने आ रहा है, चेहरे बड़े हों या छोटे हर किसी के नपने का वक्त आ चुका है. लेकिन सवाल तो ये है कि जया बच्चन को इस बात से आखिर क्यों तकलीफ होने लगी. उन्हें तो खुलकर ऐसे नशेड़ियों को लताड़ लगानी चाहिए थी, जिन्होंने बॉलीवुड को नशे के आगोश में झोंक दिया है. आखिर जया बच्चन को किस बात का डर सता रहा है. ऐसे में हम ये डंके की चोट पर कहते हैं कि Bollywood का शुद्धिकरण अब जरूरी हो गया है.


'थाली में छेद करने' पर बॉलीवुड का विभाजन


जया बच्चन के थाली वाले बयान पर Bollywood दो खेमे में बंट गया है. एक खेमा ऐसा है, जो शायद ये नहीं चाहता है कि बॉलीवुड के भीतक चल रहे ड्रग रैकेट का सच सामने आए. तो वहीं दूसरे धड़ा ये चाहता है कि नशेड़ियों की फौज सलाखों के पीछे हो.


"रोक दो नशे के दरिया में, बहते हुए पानी को।
अभी भी वक्त है, बचा लो देश की जवानी को।।


वक्त रहते जो न जागे तुम, तो अनर्थ हो जाएगा।
नशे की लत से तुम्हारा, सारा जीवन व्यर्थ हो जाएगा।।"



इस कविता के जरिए बॉलीवुड के ड्रग्स गैंग पर सांसद रवि किशन (Ravi Kishan) ने हमला बोला है. उन्होंने साफ कह दिया है कि अभी भी वक्त है बचा लो देश की जवानी को.. अब रवि किशन की बात में भला क्या बुराई है और ऐसी कौन सी गलत बात है अगर उन्होंने बॉलीवुड का हिस्सा होते हुए इस चमकती-धमकती नकाबपोश इंडस्ट्री के ड्रग रूपी चेहरे का सच कह दिया.


जया बच्चन ने रवि किशन (Ravi Kishan) पर ये आरोप मढ़ दिया कि "वो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर रहे हैं." जया बच्चन (Jaya Bachchan) के इस बयान को शिवसेना ने खुलकर समर्थन कर दिया. सामना में जया बच्चन की तारीफ की गई, लिखा ये गया कि सच बोलने और बेबाकी के लिए जया प्रसिद्ध हैं. चलिए, ये समझ में आ रहा है कि शिवसेना ने जया बच्चन का सहारा लेकर खुद को का सच छिपाने की कोशिश कर रही है.


बॉलीवुड से शिवसेना तक भी ड्रग्स कनेक्शन?


Bollywood में सालों से ड्रग्स का धंधा चलता आ रहा है. इस दौरान कई सरकारें आई गई, उनमें भाजपा की फडणवीस सरकार भी है, शरद पवार (Sharad Pawar) की NCP सरकार भी है और अब उद्धव सरकार.. लेकिन कभी बॉलीवुड का ये गंदा चेहरा सामने नहीं आ पाया. लेकिन सुशांत की मौत या यूं कहें हत्या का सच सामने लाने के लिए असल तफ्तीश शुरू हुईं तो कड़ियां खुलने लगीं. लेकिन उद्धव सरकार के नुमाइंदे इस मामले पर मिट्टी डालने पर उतारू दिख रहे हैं.


शिवसेना के कई नेताओं के बॉलीवुड पर राज करने वाले परिवार से अच्छे संबंध हैं, खुद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के पुत्र आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) की बड़ी मित्र मंडली Bollywood में है. ऐसे में उद्धव ठाकरे किसे बचाने के लिए ड्रग्स कनेक्शन पर सच सामने आने पर विरोध राग अलाप रहे हैं?



कहां तक महाराष्ट्र सरकार के मुखिया होने के नाते उद्धव 'मियां' आगे बढ़ते और कहते की पूरे बॉलीवुड की जांच होगी, जो गुनहगार होगा उसकी खटिया खड़ी होगी, लेकिन जनाब उद्धव ठाकरे की ज़ुबान पर ताला लगा हुआ है. सबसे बड़ी बात को ये जो मीडिया चैनल उनसे तीखे सवाल पूछ रहे हैं उनको महाराष्ट्र में बैन करवा देते हैं. क्या उद्धव ठाकरे हिटलर हो गए हैं, क्या वो महाराष्ट्र के तानाशाह हो गए हैं या फिर उन्होंने किम जोंग उन को अपना गुरू बना लिया है?


आखिर क्यों बॉलीवुड का शुद्धिकरण जरूरी है?


सवाल यही है कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं कि Bollywood का शुद्धिकरण करना अब जरूरी हो गया है. दरअसल, सुशांत की मौत के बाद बॉलीवुड के कई गंदे चेहरे अब सामने आने लगे हैं. चाहें नेपोटिज्म की बात हो या फिर नशेड़ियों की सच्चाई सामने आने का मसला.. कुछ चुनिंदा परिवार बॉलीवुड पर राज करता आ रहा है. इसे गुंडई नहीं तो और क्या कहा जाएगा.


सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की हत्या के बाद देश का हर नागरिक इस सच को समझने लगा है कि बॉलीवुड दिखावटी मुखौटा पहन कर लोगों के सामने कुछ और है, इसके पीछे कुछ और है. ऐसे में ड्रग्स के नशे में चूर बॉलीवुड का शुद्धिकरण किया जाना अब जरूरी हो गया है. पहले इन 5 सवालों को समझिए, जो हम ताल ठोक कर पूछ रहे हैं.


सवाल नंबर 1). बॉलीवुड की थाली में ड्रग्स की कटोरी कहां से आई?


सवाल नंबर 2). ड्रग्सवुड पर थाली और बर्तन क्यों बज रहे हैं?


सवाल नंबर 3). ड्रग्स पर फिल्मी गैंगवॉर में थाली बन रही है हथियार?


सवाल नंबर 4). ड्रग एडिक्शन के सच का सामना क्यों नहीं कर रहा बॉलीवुड?


सवाल नंबर 5). बॉलीवुड के मठाधीश नशेड़ियों को बचा रहे हैं?


कंगना की थाली Vs जया की थाली


बीजेपी सांसद रविकिशन ने ड्रगवुड पर बयान दिया तो समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने बिना नाम लिए कंगना रनौत और रवि किशन को आड़े हाथों लिया. जया ने इसे 'फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने की साजिश' करार दिया.



इस बयान पर बॉलीवुड दो फाड़ हो गया. कुछ जया के पक्ष में उतरे तो कुछ जया के खिलाफस लेकिन ड्रगवुड के खिलाफ अपने बयानों पर अड़ी कंगना रनौत ने एक ट्वीट कर अपनी मंशा जाहिर कर दी. कंगना ने लिखा, "कौन सी थाली दी है जया जी और उनकी इंडस्ट्री ने? एक थाली मिली थी जिसमें दो मिनट के रोल आइटम नम्बर्ज़ और एक रोमांटिक सीन मिलता था वो भी हीरो के साथ सोने के बाद,मैंने इस इंडस्ट्री को फ़ेमिनिज़म सीखाया,थाली देश भक्ति नारी प्रधान फ़िल्मों से सजाई, ये मेरी अपनी थाली है जया जी आपकी नहीं."



इस पर पहले रवि किशन ने भी जया बच्चन के बयान का जवाब देते हुए कहा था कि "मेरे पास कोई थाली नहीं है. मैंने खुद ही भोजपुरिया थाली बनाई और उसमें लिट्टी चोखा डाला और अपने सिर पर लेकर घूम रहा हूं. हमारी इंडस्ट्री में ड्रग्स घुस गया है. ये पहले नहीं था. कौन है ये ड्रग्स पैडलर? आने वाली जेनरेशन को हम क्या देंगे."


किसे मिला किसका साथ? दो धड़े में Bollywood


कंगना रनौत
रवि किशन
रणवीर शौरी
मनोज मुंतशिर
विवेक अग्निहोत्री
राजू श्रीवास्तव


Vs


जया बच्चन
अनुभव सिन्हा
हेमा मालिनी
तापसी पन्नू
फरहान अख्तर
जिनिलिया देशमुख
सोनम कपूर
संजय खान
गुलशन देवैया


लेकिन, आपको याद दिलाते चले कि ये अनुभव सिन्हा, तापसी पन्नू, फरहान अख्तर जैसे लोग वही लोग हैं, जिन्हें आज भी आजादी चाहिए. सोनम कपूर का भी चेहरा इन दिनों हर किसी के सामने आ ही गया. बॉलीवुड का ये गैंग जो आज थाली में छेद करने की बात कहकर अपनी छाती पीट रहा है, उसने सुशांत को इंसाफ दिलाने के लिए कभी हाय-तौबा मचाना उचित नहीं समझा. कंगना का ये सवाल काफी सटीक था कि अगर सुशांत की जगह अभिषेक बच्चन फांसी के फंदे से लटके मिलते तो भी जया बच्चन का रुख यही होता. इस सवाल पर शायद जया बच्चन की जुबान ना खुले लेकिन सच किसी से छिपने वाला नहीं है.


इन सारे लोगों को कभी सुशांत की मौत से फर्क नहीं पड़ा, कंगना का दफ्तर तोड़ दिया गया फर्क नहीं पड़ा, लेकिन ड्रग्स गैंग का सच सामने आने लगा और बॉलीवुड के नशेड़ियों के चेहरे का खुलासा होने लगा तो ये डर सताने लगा कि कहीं अगला नंबर मेरा तो नहीं. बॉलीवुड को अपने बाप की जागीर समझने वालों को ये समझना जरूरी है कि शुद्धिकरण के जरिए इसे बेहतर बनाया जा सकता है. और सबसे बड़ी बात शुद्धिकरण तभी होगा जब ऐसे नशेड़ियों के चेहरे सामने आएंगे.


किसकी थाली में क्रांति, किसकी थाली में ड्रग्स?


वहीं रणवीर शौरी ने भी जया बच्चन को जवाब देते हुए कहा है कि "थालियां सजाते हैं यह अपने बच्चों के लिए, हम जैसों को फेंके जाते हैं सिर्फ़ टुकड़े. अपना tiffin खुद pack करके काम पे जाते हैं हम, किसी ने कुछ दिया नहीं है. जो है, वो है जो यह लोग हमसे ले नहीं सके. इनका बस चलता तो वो भी अपने ही बच्चों को दे देते."



वहीं जया प्रदा ने कहा है कि "जया बच्चन को मै  सम्मान करती हूं, लेकिन कल राज्य सभा में  जो कहा वह राजनीति  कर रही  है, अमर सिंह जब बहुत बीमार थे तब जाया बच्चन और अमिताभ कहां थे? क्योंकि अमर सिंह जी ने अमिताभ और जया  बच्चन के लिए बहुत कुछ किया था, तो कौन थाली में छेद कर रहे है?"



बॉलीवुड अगर एक मल्टीस्टारर फिल्म है तो इसमें हीरो और विलेन दोनों हैं. ड्रग्स बॉलीवुड की एक सच्चाई है, जिसकी सफाई इसलिए जरूरी है क्योंकि देश का नौजवान बॉलीवुड की चकाचौंध में अपने सपने तलाशता है. यहां का अंधेरा पूरी नस्ल को अंधा कर सकता है. अफसोस की बात है कि जब सुशांत की मौत के कारण तलाशती हुई जांच एजेंसियां ड्रग्स के नेटवर्क तक पहुंच गई हैं, तो इसको जड़ से उखाड़ देने क बजाय धूप और पानी देने की कोशिशें हो रही हैं. बॉलीवुड की दाल कितनी काली है, इसके बजाय सारी बहस तेरी थाली और मेरी थाली के शोर में दब रही है.  बॉलीवुड को आईना दिखाना अब जरूरी हो गया है. इसके लिए एक मात्र उपाय यही है कि Bollywood का शुद्धिकरण..


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