धोनी ने जिस तरीके से अलविदा कहा, साबित कर गए हैं कि वे वाकई कैप्टन कूल हैं
कैप्टन कूल, माही.. क्रिकेट की दुनिया ने धोनी को जब सिर-आंखों पर बिठाया तो कई चहेते नामोें से नवाजा भी. कभी सातवें तो कभी तीसरे नंबर पर 22 गज की पट्टी पर अपना खेल दिखाने उतरे महेंद्र सिंह ने धोनी ने इस पट्टी को अलविदा कह दिया है. जाते-जाते वह सभी को इमोशनल कर गए हैं.
नई दिल्लीः महेंद्र सिंह धोनी ने संन्यास ले लिया. सोशल मीडिया उनके ऐसे जाने की चर्चा कर रहा है. अभी तक लोग दो खेमे में बंटे थे. एक जो खुद को प्रैक्टिकल साबित करते हुए कहते थे कि धोनी रिटायर हो जाएं. दूसरे वे जिनके लिए धोनी थलाइवा, माही और न जाने क्या-क्या हैं, वे कहते थे धोनी को अभी और मौके मिलने चाहिए. चार साल से यह बहस जारी थी. जिसका अंजाम अब सामने आया है.
रिटायरमेंट की घोषणा विशेष है
चर्चाएं हमेशा अमर हैं, बस उनके होने का तरीका और वजह बदल जाती है. जिन लोगों को क्रिकेट पसंद भी नहीं है और उसकी चर्चा से भी वास्ता नहीं रखते. उनकी भी दिलचस्पी धोनी के आखिरी वीडियो में जरुर होगी. जिसमें धोनी ने अपनी जिंदगी के तमाम पहलुओं को समेट लेने की कोशिश की.
नेपथ्य (बैकग्राउंड) में मुकेश का एक शानदार गीत लगाकर धोनी ने अपना संदेश स्पष्ट कर दिया.
बेहद खास है वीडियो का 24वां सेकेंड
पूरा वीडियो 4 मिनट सात सेकेंड का है. विकेट कीपर धोनी, रनर धोनी, लंबे बाल वालाे धोनी, रन बना लेने की खुशी जताता धोनी. युवराज से गलबहियां करता धोनी. लेकिन इस वीडियो को देखते हुए एक बार आप चौंक जाएंगे. वीडियो शुरू होने के बाद यह शुरुआती 24 सेकेंड का समय था.
पूरी स्क्रीन पर आग लगी हुई थी. बीच में धोनी की तस्वीर जो आग से घिरी हुई है. इससे ठीक पहले एक तस्वीर में स्कोर बोर्ड के साथ जो तस्वीर है. वहां महेंद्र सिंह धोनी के आगे जीरो लिखा है.
धोनी ने सब कुछ स्वीकार किया है
यह दोनों ही तस्वीरें स्वीकार कर लेना, वाकई जिगर का काम है. कितना मुश्किल रहा होगा न वह समय, जब एक हार के बाद आपके वही प्रशंसक आपके साथ वह सुलूक करते हैं, जिसका अंदाजा लगा पाना आसान नहीं है.
जाते-जाते धोनी ने बड़े ही सहज अंदाज में उन्हीं प्रशंसकों को ध्यान भी दिला दिया कि यह वही सब कुछ है जो आपने मुझे दिया है. बिना कुछ बोले, बिना कुछ जताए. वाह कैप्टन कूल वाह.
याद आता है साल 2016 का खास वाकया
धोनी को कैप्टन कूल क्यों कहा गया इसका अंदाजा एक और वाकये से लगता है. यह साल 2016 था. टी-20 विश्वकप में वेस्टइंडीज से हार मिली थी.
इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस का सिलसिला जारी था. उस वाकये को याद करके लगता है कि खिलाड़ी के रिटायर होने की चर्चा उसके डेब्यू मैच में मैदान पर जाने के साथ ही शुरू हो जाती है.
कैप्टन कूल ने साबित किया वह वाकई कूल हैं
सेमीफाइनल की उस हार के बाद एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने पूछ लिया, इस टूर्नामेंट के बाद अब आप क्या करेंगे, क्या संन्यास लेने की सोच रहे हैं. कई दिनों से रिटायरमेंट-रिटायरमेंट सुन सुनकर गुस्सा तो आया होगा, लेकिन कैप्टन कूल ने इस पूरे सवाल को बड़े ही इत्मीनान से लिया.
जैसे यह दुनिया रिटायरमेंट का इंतजार कर रही थी
धोनी ने पत्रकार से पूछा, 'आप क्या चाहते हो मैं रिटायर हो जाऊं? पत्रकार इस फुलटॉस के लिए शायद तैयार नहीं था. जवाब में उसने कहा 'नहीं, मैं नहीं चाहता. मैं तो बस पूछ रहा था. अब धोनी ने दूसरी सवालिया गेंद फेंकी. बोले 'मुझे लगा कि आप कोई भारतीय पत्रकार हैं.
आप इंडियन होते तो मैं आपसे पूछता कि क्या आपका बेटा या भाई है जो विकेटकीपर है. क्या आपको लगता है मैं अनफिट हूं, जब मैं भागता हूं? पत्रकार ने कहा, नहीं, आप तो बहुत तेज भागते हैं'
और पत्रकार ने दिया जवाब
अब कैप्टन कूल ने ओवर का आखिरी गेंद डाली. अगला सवाल दागा, 'क्या आपको लगता है कि मैं 2019 वर्ल्ड कप में खेल सकता हूं? इस पर पत्रकार ने जवाब दिया, 'हां आपको खेलना चाहिए.' इसके बाद धोनी ने कहा, ' बस, आपने उस सवाल का जवाब तो दे ही दिया, जो आपने मुझसे पूछा.
मध्यम वर्ग वाली समायोजन क्षमता, सबको साथ लेकर चलने वाली लीडर शिप, लंबे बाल वाला अल्हड़ लड़के और कैप्टन कूल की छवि के बीच का तारतम्य इन सबको बहुत देर तक लंबा ले चलना आसान नहीं होता. लेकिन धोनी ने यह किया है. खेल से रिटायर होना वाकई मुश्किल होता है, लेकिन एक वक्त होता ही जब खिलाड़ी को यह निर्णय लेना ही होता है. महेंद्र सिंह धोनी ने यह निर्णय भी ले लिया है.
राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर यूं ही याद आ रही है. जीना यहां मरना यहां, हल्की आवाज में आनंद फिल्म का डॉयलॉग भी है, बाबू मोशाय..., और दूर कहीं से आ रही है साहिर लुधियानवी साहब के लिखे और कभी-कभी फिल्म में फिल्माए, मैं पल दो पल का शायर हूं. जिंदगी ऐसी ही है. 22 गज की पट्टी से महेंद्र सिंह धोनी विदा ले रहे हैं. सफर यादगार रहा.
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