मुंबई: फिल्म इंडस्ट्री और स्टार्स का ख्याल आते ही दिमाग में सबसे पहले पैसा, ग्लैमर, फेम आता है. पर हर बार एक ऐसी घटना सामने आती हैं जो इन चीजों पर कई सवाल खड़े कर जाते हैं.


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RIP Sushant : आसान नहीं था पटना से मुंबई तक का सुशांत का सफर.


फिल्म दुनिया में जब अपनी पहचान बना चुके एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की सुसाइड की खबर जैसे ही सामने आई, टीवी से लेकर सोशल मीडिया उनकी मौत की खबरों से भरी नजर आ रही है. स्टार्स, सेलिब्रिटी, आमजन से लेकर राजनेता तक ने सुशांत की मौत पर शोक जताया तो कुछ के लिए यह विश्वास कर पाना ही नामुमकिन है. लेकिन सच्चाई तो यही है कि महज 34 साल की उम्र में एक अनमोल रत्न हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह चला गया. पर सुशांत की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.


सुशांत सिंह राजपूत का मुंबई में आज अंतिम संस्कार.


जहां सुशांत को 6 महीने से डिप्रेशन में बताया जा रहा है तो वहीं यह भी सवाल उठता है कि फिल्मों में हिट साबित हो चुके हीरो की लाइफ में किस बात की चिंता थी. लेकिन हम यह क्यों भूल जाते हैं कि हर स्टार एक आम इंसान ही होता है और उन्हें भी परिवार और दोस्तों का साथ चाहिए होता है. आज हर कोई उनके लिए पोस्ट कर सॉरी और अपनी दिल की बात शेयर कर रहे हैं. लेकिन जब सुशांत 6 महीने से डिप्रेशन में थे तब क्यों नहीं ये लोग उनके साथ थे. 



इसी सवाल को लेकर कुछ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने अपनी बात रखी है और इस इंडस्ट्री को ही फेक बताया है. निखिल द्विवेदी ने अपनी बात रखते हुए लिखा है कि कोई आप्पत्ति नहीं है कि आप सिर्फ चढ़ते सूरज को सलाम करें! शायद सभी करते हैँ. आप्पति इसमें है कि ढलते वक़्त जिस सूरज से आपने रौशनी ली है, आप उसी सूरज से नज़र चुराते हैं, और तो और उसकी खिल्ली भी उड़ाते हैं. निखिल ने इसके अलावा एक ओर ट्वीट किया और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को फेक बताया.



अपनी ट्वीट को लेकर विवादों में रहने वाले फिल्म समीक्षक केआरके ने भी इंडस्ट्री के लोगों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की. कमाल खान ने लिखा कि आज बॉलीवुड के बहुत से लोग कह रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत को बात करनी चाहिए न कि सुसाइड. पर आप सभी झूठे हो. बॉलीवुड में कोई किसी की मदद नहीं करता. यह एक ऐसी जगह है जहां हर किसी को अपनी परेशानियों का खुद ही सामना करना पड़ता है.


खैर इन बातों से तो इंडस्ट्री का दो चेहरा सामने आ रहा है. लेकिन सुशांत की मौत ने यह बात तो साबित कर दिया कि हर मुस्कुराता चेहरा अंदर से खुश हो ये सच नहीं होता. अपने से हमेशा संपर्क में रहना और उनसे हर मुद्दे पर खुलकर बात करना ही डिप्रेशन का इलाज है. जैसे लोग शारीरिक रूप से बीमार होते हैं ठीक वैसे ही लोग मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो सकते हैं. इसे समाज या दुनिया क्या कहेगी सोच कर अनदेखा न करें. यह भी महज एक बीमारी है जो ठीक हो जाती है. मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को समय देकर उसकी बात सुनकर और प्यार से सबकुछ ठीक किया जा सकता है.