क्या ये था कत्ल की रात का काला सच?
रिक्रियेशन ऑफ दि क्राइम सीन जांच के लिये कितना अहम सिद्ध हो सकता है, इसका प्रमाण मिला है सीबीआई जांच के दौरान जो जांचकर्ताओं द्वारा सुशांत के घर पर किया गया और उस दौरान जांच के कई गहन पहलुओं पर गंभीरता से गौर किया गया..
नई दिल्ली. स्वतंत्र भारत की सफल पत्रकारिकता के स्वर्णिम पन्नों में सुशांत सिंह राजपूत हत्या के अपराधियों को सजा दिलाने की मीडिया की मुहिम भी सम्मिलित हो गई है. ज़ी न्यूज़ के मंच से यदि हम कागज पर इस क्राइम सीन का रिक्रियेशन करें तो हमें भी कुछ बारीक तथ्य ऐसे दिखाई देते हैं जो इस हाई प्रोफाइल मामले पर से रहस्य के कुछ आवरण हटाते दिखाई देते हैं.
टीम नंबर वन ने किया कोऑर्डीनेशन
रिक्रियेशन करके देखें तो इस वारदात से जुड़े हत्यारों की तीन टीमें दिखाई देती हैं. इनमें से टीम नंबर वन ही मूल अपराधी थे जिन्हें इस हत्या का मास्टर माइन्ड भी कहा जा सकता है. टीम नंबर वन ने सुशांत की हत्या की पूरी स्क्रिप्ट लिखी और उसको अन्जाम देने वालों की भूमिकायें तय कीं. टीम नंबर वन ने पूरे मामले को कोऑर्डीनेट किया जिसके कारण यह हत्या इतनी सफाई से अन्जाम दी गई कि हत्या के अगले दिन जब मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया तो सारी दुनिया ने मान भी लिया था. किन्तु ज़ी न्यूज़ की पैनी नज़रें तब भी इस झूठ को सच मानने को तैयार नहीं थीं.
खिलाड़ी नंबर वन ने निभाई बड़ी भूमिका
वारदात की योजना बनाने से लेकर उसको अन्जाम देने के लिये जरूरी कोऑर्डीनेशन का काम टीम नंबर वन ने सम्हाला. उसने अपनी स्क्रिप्ट के अनुसार हत्या की वारदात को अन्जाम देने के लिये प्रोफेशनल किलर्स की तलाश की. टीम नंबर वन के सबसे मजबूत किरदार ने इस काम की जिम्मेदारी सम्हाली होगी क्योंकि इस टीम में शामिल हर सदस्य के मुकाबले टीम नंबर वन के खिलाड़ी नंबर वन की पहुंच सबसे ज्यादा और पकड़ सबसे मजबूत थी. खिलाड़ी नंबर वन ने ढूंढे किलर्स और बाकी खिलाड़ियों ने बनाई हत्या की योजना.
टीम नंबर दो को दी गई सुपारी
असली वारदात को अन्जाम देने के लिये कत्ल की रात अर्थात चौदह जून की रात को मौत के ये परकाले सुशांत की बिल्डिंग मोन्ट ब्लैन्क के सामने पहुंचते हैं. इनके आगमन का समय वही समय होना चाहिये जिस समय इस बिल्डिंग के सामने आवाजाही जितनी कम हो चुकी थी उतनी ही अन्दर भी कम हो गई थी. इस तरह कहा जा सकता है कि लगभग साढ़े ग्यारह बजे ये लोग बिल्डिंग के गेट पर पहुंचे होंगे जहां उनके बेरोकटोक अन्दर जाने की व्यवस्था टीम नंबर वन ने दूर से बैठे-बैठे ही अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके कर दिया होगा.
वारदात के लिये आये होंगे 5 लोग
कत्ल की रात अर्थात चौदह जून को आधी रात के समय हत्या के इरादे से मोन्ट ब्लैंक पहुंचे ये लोग संख्या में कुल पांच हो सकते हैं क्योंकि इससे अधिक संख्या में लोगों का आधी रात को किसी के घर आना संदेह पैदा कर सकता है. इन पांच लोगों में एक व्यक्ति वह हो सकता है जो सुशांत को जानता होगा ताकि उसके कारण सुशांत के फ्लैट के भीतर इन लोगों को एन्ट्री मिल सके. यह व्यक्ति सुपारी किलर गैंग का हिस्सा नहीं बल्कि टीम नंबर वन का हिस्सा था जो टीम नंबर टू का काम आसान करने साथ आया था.
टीम नंबर तीन ने की मदद
मोन्ट ब्लैंक बिल्डिंग के गेट से टीम नंबर टू को अंदर एन्ट्री कराने का काम टीम नंबर वन के खिलाड़ी नंबर टू को दिया गया था. टीम नंबर टू के साथ ही आया था ये खिलाड़ी नंबर टू अर्थात सुपारी किलर्स के साथ वारदात को अन्जाम देने में मदद के लिये उसे साथ भेजा गया था. टीम नंबर वन ने सोसाइटी के सीसीटीवी को भी उस रात निष्क्रिय कराने के काम को भी अपनी स्क्रिप्ट में रखा होगा. टीम नंबर दो आसानी से अन्दर पहुंची और सुशांत के फ्लैट के दरवाजे इनके लिये या तो पहले से ही टीम नंबर तीन द्वारा खुले रखे गये होंगे या फिर सुशांत से ही बात करके खिलाड़ी नंबर टू ने बड़े आराम से खुलवा लिये होंगे. इसके बाद हुई वारदात में टीम नंबर टू की मुख्य भूमिका रही होगी और सहायक भूमिका में रही होगी टीम नंबर तीन.