ज्ञानवापी विवाद: हिंदू पक्ष को मिली खुशखबरी, शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग स्वीकार
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष ने जो कार्बन डेटिंग कराने की अर्जी कोर्ट में दी थी, उसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है और इसके साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें सुनवाई के लिए 8 हफ्ते का वक्त मांगा गया था.
नई दिल्ली: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में हिंदू पक्ष ने कार्बन डेटिंग कराने की याचिका कोर्ट में दाखिल की, जिसे सेशन कोर्ट ने मंजूर कर लिया है. हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका में उस शिवलिंग के आकार के पत्थर की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई है. जो कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिला था.
बढ़ा हुआ है हिंदू पक्ष का उत्साह
इसके पहले 12 सितंबर को ही कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया था और श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की इजाजत मांगने वाली याचिका को सुनने लायक बताया था. वहीं अब कार्बन डेटिंग की याचिका भी कोर्ट ने स्वीकार कर ली है, जिससे हिंदू पक्ष का उत्साह बढ़ा हुआ है.
माना जा रहा है कि कार्बन डेटिंग के लिए दायर हिंदू पक्ष की याचिका पर 29 सितंबर को फैसला आ सकता है. जिससे हिंदू पक्षकार बेहद खुश नजर आ रहे हैं. हिंदू पक्षकार ज्ञानवापी में मिले पत्थर को विश्वेश्वर महादेव बता रहे हैं, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है.
कार्बन डेटिंग की याचिका को मंजूरी
वहीं कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका को नामंजूर कर दिया है. जिसमें उन्होंने सुनवाई के लिए 8 हफ्तों का वक्त मांगा था. साफ है कि कार्बन डेटिंग की याचिका को मंजूरी मिलना मुस्लिम पक्ष के लिए बड़े झटके से कम नहीं है.
अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने दी ये जानकारी
जिला शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने बताया कि मामले की वादी चार महिलाओं की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी परिसर में प्राप्त कथित शिवलिंग/फव्वारे की कार्बन डेटिंग कराने की मांग जिला अदालत के समक्ष रखी. जिला जज ने इसे स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 29 सितंबर तय कर दी.
मुस्लिम पक्ष से कहा गया है कि मामले की अगली सुनवाई पर इस पर आपत्ति पेश करने के लिये कहा गया है. उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में 15 लोगों ने पक्षकार बनने के लिए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. इस पर जिला जज ए के विश्वेश ने कहा कि पक्षकार बनने के लिए 15 लोगों में से उपस्थित आठ लोगों के प्रार्थना पत्र पर ही विचार किया जाएगा, बाकी अनुपस्थित सात लोगों का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया जाएगा.
मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है, लिहाजा यह सुनने योग्य नहीं है. अदालत ने पिछली 12 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है.
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