`जिला सरोगेसी बोर्ड बने`, नि:संतान दंपति ने बंबई उच्च न्यायालय से क्यों की ये मांग
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला की अगुवाई वाली खंडपीठ ने याचिका पर सोमवार को सरकार से जवाब मांगा है. याचिककर्ताओं ने 2016 में शादी की थी. दोनों की आयु 40 के करीब है. याचिका में कहा गया है कि दंपति ने सरोगेसी कराने का फैसला किया लेकिन सरोगेसी के लिए किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है.
मुंबई: मुंबई में एक नि:संतान दंपति ने जिला सरोगेसी बोर्ड गठित करने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया. दंपति ने महाराष्ट्र सरकार को सरोगेसी (नियमन) कानून, 2021 के प्रावधानों के अनुसार जिला सरोगेसी बोर्ड गठित करने तथा मुंबई में इन्फर्टिलिटी (संतान नहीं हो पाने से जुड़ी समस्याओं का उपचार करने वाले) क्लिनिक का पंजीकरण करने का निर्देश देने का अनुरोध किया.
12 दिसंबर को अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला की अगुवाई वाली खंडपीठ ने याचिका पर सोमवार को सरकार से जवाब मांगा और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की.
गर्भधारण नहीं हो पाया
याचिका के अनुसार, याचिककर्ताओं ने 2016 में शादी की थी. दोनों की आयु 40 के करीब है. महिला युवा अवस्था से ही मधुमेह और अन्य बीमारियों से पीड़ित है. वह गर्भधारण नहीं कर पाईं. इसके बाद दंपति ने विभिन्न फर्टिलिटी क्लिनिक और विशेषज्ञों से सलाह ली, लेकिन गर्भधारण नहीं हुआ.
क्या आई समस्या
याचिका में कहा गया है कि इसके बाद दंपति ने सरोगेसी कराने का फैसला किया लेकिन उन्हें मालूम चला कि सरोगेसी के लिए किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि सरोगेसी तथा ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नीक’ (एआरटी) से जुड़ा कानून होने के बावजूद मुंबई में किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है. बिना पंजीकरण के कोई भी क्लिनिक सरोगेसी को आगे नहीं बढ़ा सकता. याचिकाकर्ता दंपति ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं को एआरटी कराने से रोकना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मूल अधिकारों के खिलाफ होगा.’’
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