नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर न्यायपालिका और जजों के प्रति बढ़ते हमलों को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत के कई जज पहले ही चिंता जता चुके हैं. अब सोशल मीडिया पर हदें पार हो गई हैं. देश के संभावित अगले सीजेआई के खिलाफ फेक न्यूज और ट्रोलिंग का सहारा लिया जा रहा है.  


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जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज हैं. वह संभवतः 9 नवंबर को देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. फिलहाल उनके नाम की सिफारिश का इंतजार किया जा रहा है. इसी बीच सोशल मीडिया से लेकर व्यक्तिगत रूप से भी जस्टिस चंन्द्रचूड़ के खिलाफ हमले बढ़ गए हैं.


सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग
सोशल मीडिया, विशेष रूप से ट्विटर पर उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियों और फर्जी खबरों की बाढ़ सी आ गई है. पिछले दो सप्ताह में जस्टिस चंद्रचूड़ को लेकर कई तरह की भ्रामक बातें प्रसारित की जा रही हैं. खासतौर से उनके द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए जोसेफ शाइन बनाम केंद्र सरकार फैसले से जुड़ी टि​प्पणियों को आधार बनाया जा रहा है.


सोशल मीडिया पर जस्टिस चंद्रचूड़ के ग्रीन कार्ड धारक होने का दावा तक किया जा रहा है. यह गलत है. ग्रीन कार्ड संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है.


सीजेआई के नाम की सिफारिश के वक्त ही क्यों!
शनिवार को वाट्सऐप पर शिकायती दस्तावेज भी प्रसारित हुआ है. कई मीडिया ग्रुप के साथ ये व्यक्तिगत भी भेजा जा रहा है. ये मैसेज कथित तौर पर एक आर के पठान द्वारा जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ भारत के राष्ट्रपति को दायर की गई शिकायत को दर्शाता है. लेकिन, शिकायतकर्ता द्वारा दर्शायी गई संस्था का नाम पहली बार सामने आया है.


शिकायतकर्ता ने खुद को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लिटिगेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बताया है. 165 पृष्ठों की इस शिकायत में सिर्फ पठान का नाम दर्शाया गया है. संस्था या संस्था के दूसरे सदस्यों के बारे में ये शिकायत कोई जानकारी नहीं देती है.


गौरतलब है कि जस्टिस चंद्रचूड़ के फेक न्यूज को लेकर सख्त विचार हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले में अपने विचार स्पष्ट कर चुके हैं और उन्होंने हाल ही में 10 अगस्त को जिंदल विश्वविद्यालय के दीक्षांत व स्थापना दिवस समारोह में पत्रकार बनने जा रहे युवाओं से आह्वान किया था कि फेक न्यूज और झूठी सूचनाओं के दौर में हमें ऐसे पत्रकारों की पहले से ज्यादा जरूरत है, जो छिपाई जा रहीं चीजों पर लिखें, समाज में मौजूद खामियां सामने लाएं.


नया नहीं चलन
सोशल मीडिया पर पहले भी देश के कई जजों पर निशाना साधा जा चुका है. दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस को फटकार लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर को लेकर सोशल मीडिया पर कई अनर्गल बातें लिखी गई थीं. इसी तरह से नुपूर शर्मा मामले में तीखी टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाला पर भी सोशल मीडिया पर निजी हमले किए गए थे.


सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विनिज जिंदल की ओर से भी इस मामले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में मीडिया, चैनल और नेटवर्क के खिलाफ शिकायत के लिए मीडिया ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की गई थी. सरकार द्वारा फेक न्यूज को लेकर नियम बनाने की जानकारी दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया था.


पूर्व सीजेआई एन वी रमन्ना भी सोशल मीडिया के साथ जजों पर बढ़े निजी हमलों को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं. 26 नवंबर 2021 को नई दिल्ली के विज्ञान में आयोजित रमना ने कहा था कि देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है.


पूर्व सीजेआई रमन्ना ने कहा था कि सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की उम्मीद की जाती है, ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडर होकर काम कर सकें.


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