नई दिल्ली: देश के नए अटॉर्नी जनरल के रूप में सीनियर एडवोकेट आर. वेंकटरमणी की नियुक्ति के बाद केंद्र अब सुप्रीम कोर्ट में कानूनी अधिकारियों की टीम में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है. कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सर्वोच्च अदालत में आने वाले दिनों में होने वाले बदलाव को देखते हुए कानून मंत्रालय कुछ कानूनी विशेषज्ञ अधिकारियों को दिल्ली की टीम में शामिल करने पर विचार कर रहा है.


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सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट आर. वेंकटरमणी ने 1 अक्टूबर से देश के 16वें अटॉर्नी जनरल का कार्यभार संभाल लिया है. कहा जा रहा है कि आर. वेंकटरमणी ने एजी के पद के लिए केन्द्र को अपनी सहमति इस शर्त पर दी है कि सुप्रीम कोर्ट में कार्य करने वाले एडवोकेट की नियुक्ति उनके अनुसार होगी.


केन्द्र सरकार के लिए इस पद के लिए पूर्व एजी के के वेणुगोपाल पहली पसंद रहे हैं, लेकिन वेणुगोपाल ने व्यक्तिगत कारणों से अगले कार्यकाल के लिए अपनी सहमति नहीं दी. सरकार के बड़े स्तर से अनुरोध पर वेणुगोपाल ने सिर्फ तीन माह यानी 30 सितंबर तक कार्य करने की सहमति दी. वेणुगोपाल के बाद केंद्र द्वारा मुकुल रोहतगी और सी एस वैद्यनाथन के नाम पर विचार करने की बात सामने आयी.


रोहतगी के इंकार से बदल रही हैं चीजें
आखिरकार केंद्र ने मुकुल रोहतगी को ही तीसरा कार्यकाल देने का निर्णय लिया. रोहतगी का नाम सामने आने से पूर्व ही सर्वोच्च अदालत में करीब एक सप्ताह तक उनकी मौजूदगी कम होने लगी थी. कहा जा रहा है कि उनके द्वारा एक बार इस पद के लिए सहमत होने के बावजूद इंकार करने के पीछे सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान कानूनी टीम हैं. रोहतगी ने अपनी सहमति नहीं देने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं बताया था. रोहतगी के करीबी सूत्रों के अनुसार उन्हें लगा कि वे वर्तमान कानूनी अधिकारियों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएंगे.


समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि उन्होंने इस ऑफर के बारे में फिर से सोचा और इनकार कर दिया. मुकुल रोहतगी केके वेणुगोपाल की जगह लेने वाले थे. वह एक अक्टूबर से अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाले थे, लेकिन इससे पहले उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा कर सबको चौंका दिया था.


रोहतगी के निर्णय से केन्द्र को बड़ा झटका लगा था. उसके बाद से ही केन्द्र के साथ कानून मंत्रालय के लिए भी इस बिंदु पर विचार करना आवश्यक हो गया कि केन्द्र के पक्ष में रहने वाले कई सीनियर एडवोकेट भी इस पद के लिए अपनी अनिच्छा क्यों जता रहे हैं.


रोहतगी की असहमति ने कानून मंत्रालय के लिए भी मुश्किल खड़ी कर दी, क्योंकि मंत्रालय के लिए ये असहज स्थिती बन गयी थी कि आखिर दो सप्ताह के भीतर ही रोहतगी ने क्यों इनकार किया. इसके बाद से ही विधि एवं न्याय मंत्री द्वारा सर्वोच्च अदालत में कानूनी टीम में बदलाव की ओर कदम बढाने की चर्चा शुरू हुई.


नए सीजेआई के समक्ष मजबूत टीम
कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति के बाद अब केंद्र सॉलिसिटर जनरल के पद पर विचार कर रहा है. वर्तमान सीजेआई यूयू ललित की सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ देश के अगले सीजेआई होंगे. जस्टिस चन्द्रचूड़ को लेकर सरकार बेहद सावधानी से आगे बढ़ रही हैं.


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को वर्तमान सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा हाईटेक जज के रूप में जाना जाता है. दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री एलएलबी करने के बाद वे एलएलएम के लिए हावर्ड चले गए थे. हावर्ड से ही उन्होंने एलएलएम करने के बाद ज्यूरिडिकल साइंस में डॉक्टरेट भी की है. उन्हें एक सख्त जज के रूप में जाना जाता है, जो कानून की सीमाओं में रहने के लिए बाध्य करते हैं.


कानून मंत्रालय के साथ केंद्र को अनुमान है कि आने वाले दिनों में देश की सर्वोच्च अदालत में परिस्थितियां बदल सकती हैं. ऐसे में केन्द्र अपनी कानूनी टीम को और भी मजबूत करने पर विचार कर रहा है.


सुप्रीम कोर्ट में अपनी कानूनी टीम को मजबूत करने के लिए केन्द्र राजस्थान के एएसजी और गुजरात के एडवोकेट जनरल को दिल्ली लाने पर विचार कर रहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एएसजी की टीम में कुछ और नए नाम जोड़ने के लिए भी कानून मंत्रालय कुछ नाम पर विचार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार मंत्रालय के लिए ये बेहद गंभीर मामला है और वो इस पर बेहद सावधानी से आगे बढ़ना चाहेगा.


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