जस्टिस चन्द्रचूड़ और जस्टिस कोहली ने पेश की नजीर, सुबह से रात तक की सुनवाई
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मुकदमों की सुनवाई के लिए शुक्रवार की रात 9.10 बजे तक बैठी रही. बेंच ने अतिरिक्त 5 घंटे 10 मिनट सुनवाई की.
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत के न्यायिक इतिहास में दशहरे से पूर्व के अंतिम कार्यदिवस यानी की शुक्रवार को वो सबकुछ देखने को मिला, जिसकी एक आम आदमी हमेशा ही उम्मीद करता आया है. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामलों की सुनवाई के लिए शुक्रवार की रात 9.10 बजे तक बैठी रही. सर्वोच्च अदालत में मुकदमों की सुनवाई का समय सुबह 10.30 बजे से शाम 4 बजे तक का है. इस तरह इस बेंच ने अतिरिक्त 5 घंटे 10 मिनट सुनवाई की.
अक्सर देश की सवोच्च अदालत पर महत्वपूर्ण मामलों के लिए ही देर रात दरवाजे खुले रखने या देर तक मामलों की सुनवाई करने की बात कही जाती हैं, लेकिन शुक्रवार को सामान्य मामले की सुनवाई के लिए भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे देर रात 9.10 बजे तक खुले रहे. तो उस अदालत में मौजूद रहे अधिवक्ता तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए.
क्यों देर तक हुई सुनवाई
दोनों जजों की बेंच ने आम दिनों की तरह ही सुबह 10.30 बजे से मामलों पर सुनवाई शुरू कर दी थी. न्यायालय समय समाप्त होने के बाद भी शुक्रवार की सूची में सूचीबद्ध सभी मामलो पर सुनवाई नहीं हो पा रही थी. ऐसे में जस्टिस चन्द्रचूड़ और जस्टिस कोहली ने बेंच के समक्ष सूचीबद्ध सभी मामलों पर सुनवाई करने के लिए देर शाम बैठने का फैसला किया.
बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह 9 अक्टूबर तक दशहरा की छुट्टी के लिए बंद रहेगा और उससे पहले शुक्रवार आखिरी कार्य दिवस था. सूचीबद्ध सभी मामलों के याचिकाकर्ताओं को अदालत से उम्मीद होती है. ऐसे में वे उन्हें ज्यादा इंतजार नहीं करायेंगे. न्यायालय समय के पश्चात भी बेंचे बिना रूके शुक्रवार की सूची में सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई करना जारी रखा और ये सुनवाई रात 9.10 बजे तक जारी रही.
अदालत ने क्या कहा
अंतिम केस की सुनवाई पूर्ण होते होते अदालत में मौजूद सभी लोगो के चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी. जैसे सभी आपस में एक-दूसरे का धन्यवाद दे रहे हों. खुद जस्टिस चन्द्रचूड़ भी उठने से पहले, अदालत में मौजूद वकीलों और अदालत के कर्मचारियों को धन्यवाद देने से नहीं रोक पाए.
अदालत ने टिप्पणी करते हुए "सभी को छुट्टियाँ मुबारक हो. हम बहुत खुश हैं कि हम आप सभी को सुन सके. अदालत के हमारे धैर्यवान कर्मचारियों को बहुत धन्यवाद. हम अपने सभी कर्मचारियों सभी चतुर्थ श्रेणी कर्माचारी, सभी कर्मचारियों, चेतन जी, सरोज जी को धन्यवाद देते हैं. आप सभी का धन्यवाद,". अदालत की इस टिप्पणी पर सभी अधिवक्ताओं ने भी बेंच का अभिवादन करते हुए धन्यवाद दिया. एक अधिवक्ता ने बेंच की तारीफ करते हुए कहा "आप युवा अधिवक्ताओं के लिए एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रहे हैं".
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