नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अली मोहम्मद मागरे को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश केन्द्र सरकार से की है. जस्टिस अली मोहम्मद मागरे मूल कश्मीरी मुस्लिम जज हैं. जस्टिस मागरे को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अब्दुल नजीर के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके पास मात्र 2 माह का कार्यकाल ही होगा. वे 7 दिसंबर 2022 को अपने पद से सेवानिवृत हो जाएंगे.
मूल कश्मीरी जज हैं जस्टिस मागरे
जस्टिस मागरे कश्मीर के कुलगाम जिले के दम्हाल हांजीपोरा तहसील के वट्टू ग्राम के मूल निवासी हैं. 8 दिसंबर, 1960 को जन्मे जस्टिस मागरे ने ग्राम वट्टू से ही अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की. कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक और एलएलबी ऑनर्स करने के बाद उन्होंने वर्ष 1984 में अधिवक्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया.
राजस्व अदालत में की प्रैक्टिस
अधिवक्ता के रूप में जस्टिस मागरे ने शुरुआत में राजस्व अदालत और जिला अदालतों में प्रैक्टिस करने के बाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की. उन्हें 1986 में राज्य वित्तीय निगम के स्थायी वकील के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की. इसके बाद उनके पास जम्मू-कश्मीर बैंक और सिडको, शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान, विद्युत विकास विभाग, सेवा चयन बोर्ड, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड, सामान्य प्रशासन विभाग, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग, सेवा चयन बोर्ड, राज्य लोक सेवा आयोग, संपदा विभाग, एसकेआईएमएस और सतर्कता विभाग सहित कई विभागों के काउंसिल के रूप में काम किया.
जम्मू कश्मीर राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता
उनकी सेवाओं को देखते हुए फरवरी 2003 में उन्हें राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया. सितंबर 2009 में गृह विभाग के अतिरिक्त प्रभार के साथ वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में जिम्मेदारी दी गई. वे जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के साथ-साथ राज्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी कानून के महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी करने लगे. उन्होंने जम्मू कश्मीर से जुड़े कई अपराधिक मामलों के साथ जनहित याचिकाए, संवैधानिक मामले, सेवा मामले, कर मामले, सिविल मामलों में सरकार की पैरवी की.
अनुभव के आधार पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें 8 मार्च 2013 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया. 7 मार्च, 2013 को उन्हें जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया, जिसके बाद उन्होंने 8 मार्च, 2013 को स्थायी जज के रूप में पद की शपथ ली. जस्टिस मागरे को सुप्रीम कोर्ट के एकमात्र मुस्लिम जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर का भी उत्तराधिकारी माना जा रहा हैं. जस्टिस अब्दुल नज़ीर तीन माह बाद 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उनकी सेवानिवृत्ति से पूर्व सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम नए मुस्लिम जज की नियुक्ति कर सकता है.
देशभर की वरिष्ठता में नीचे, लेकिन जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ जज
जस्टिस मागरे हाईकोर्ट जजों की वरिष्ठता में कई जजों से नीचे हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. उन्हें बार से 8 मार्च 2013 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. लेकिन देश में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के प्रतिनिधित्व को देखते हुए जस्टिस मागरे को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई है.
देश के दो हाईकोर्ट के सीजे होंगे मुस्लिम जज
वर्तमान में देश के दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में दो मुस्लिम जज को प्रतिनिधित्व मिला हुआ हैं. जस्टिस मागरे से पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अमजद एहतेशाम सैयद एकमात्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं. जो कि मूल बॉम्बे हाईकोर्ट के जज हैं. मूल पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह वरिष्ठता क्रम में जस्टिस अमजद एहतेशाम सैयद के बाद दूसरे नंबर पर है, जिनका कार्यकाल 10 मई 2025 तक है.
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