नई दिल्ली: उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को संतान प्राप्ति के लिए पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने के राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राजस्थान सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा.


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मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई


दरअसल, आज राजस्थान सरकार के वकील ने CJI एनवी रमना की बेंच से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद दूसरे सजायाफ्ता कैदी भी इस आधार पर पेरोल मांग रहे हैं, राज्य सरकार ने कहा कि पेरोल मांगने के लिए यह वैध आधार नहीं हो सकता है. CJI ने कहा कि वो अगले हफ्ते मामले पर सुनवाई करेंगे.


आपको बता दें कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को राजस्थान हाईकोर्ट ने संतान प्राप्ति के लिए 15 दिन की पैरोल दी थी. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप मेहता और फरजंद अली की खंडपीठ ने कहा था कि वैसे पैरोल रूल्स में संतान प्राप्ति के लिए पैरोल का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान होने को धार्मिक दर्शन, भारतीय संस्कृति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से मान्यता दी है.


क्या है पूरा मामला? जानिए


गौरतलब है कि राजस्थान के भीलवाड़ा के 34 साल के नंदलाल को एडीजे कोर्ट ने 6 फरवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, तब से वह अजमेर की जेल में बंद था. 18 मई 2021 को उसे 20 दिन की पैरोल मिली थी. उसके बाद वह निर्धारित तिथि को लौट आया था.


इसके बाद कैदी नंदलाल की पत्नी ने अजमेर कलेक्टर, जो पैरोल कमेटी के चेयरमैन भी हैं को अर्जी दी थी. कलेक्टर ने जब अर्जी पर कोई फैसला नहीं लिया तब पत्नी हाईकोर्ट पहुंच गई, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 15 दिनों का पैरोल देने का आदेश दिया.


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