नई दिल्ली: केरल की एक कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न का केस प्रथम दृष्टया स्टैंड नहीं करता है जबकि शिकायतकर्ता ने ऐसी ड्रेस पहनी हो जो यौन उत्तेजक थी. कोझिकोड कोर्ट का यह बयान 12 अगस्त को आया है. कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में एक्टिविस्ट सिविक चंद्रन को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की है. 


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क्या कहा अदालत ने
अदालत ने आगे कहा कि यह विश्वास करना असंभव है कि 74 वर्ष की आयु का व्यक्ति और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति शिकायतकर्ता के साथ जबरदस्ती कर सकता है.


महिला की तस्वीरों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की गई है. अदालत ने कहा, “इससे पता चलता है कि वास्तविक शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहन रही है जो कुछ यौन उत्तेजक हैं. इसलिए, धारा 354ए प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ नहीं जाएगी.


अदालत ने कहा कि धारा 354 के शब्दों से यह बहुत स्पष्ट है कि आरोपी की ओर से एक महिला का शील भंग करने का इरादा होना चाहिए. "इसके लिए एक शारीरिक संपर्क और अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव शामिल होना चाहिए. यौन एहसान के लिए मांग या अनुरोध होना चाहिए. ”


क्या है मामला
यौन उत्पीड़न मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को अग्रिम जमानत देते हुए, कोझीकोड की एक जिला सत्र अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (ए) (यौन उत्पीड़न) के तहत अपराध प्रथम दृष्टया स्टैंड नहीं करेगा जब महिला 'यौन उत्तेजक कपड़े' पहने हुए थे.


जमानत याचिका के साथ शिकायतकर्ता की तस्वीरें पेश करने वाले चंद्रन को 12 अगस्त को अग्रिम जमानत दी गई थी. 2 अगस्त को एक अन्य यौन उत्पीड़न मामले में अग्रिम जमानत हासिल की थी.


चंद्रन ने आरोप लगाया था कि महिला ने उनके खिलाफ झूठी शिकायत की थी. अप्रैल 2022 में हुई कथित घटना का जिक्र करते हुए चंद्रन ने कहा कि शिकायतकर्ता अपने प्रेमी के साथ कई अन्य लोगों की मौजूदगी में आई थी. किसी ने भी उसके खिलाफ ऐसी शिकायत नहीं की.

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