नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की जेलों में बड़ी संख्या में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिये कानूनी सहायता की जरूरत पर बल दिया है. साथ ही विचाराधीन कैदियों को विधिक सहायता प्रदान करने की अपील की हैं. पीएम मोदी ने देशभर से आए जिला न्यायाधीशों से जेलों से विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाने के लिए जिला स्तरीय विचाराधीन समीक्षा समितियों में अपने पद का उपयोग करने का आह्वान किया. 


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क्या बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा  "ऐसे बहुत से विचाराधीन विचाराधीन कैदी हैं जो बिना किसी कानूनी मदद के जेलों में छोड़ दिए गए हैं, मैं जिला न्यायाधीशों से जिला स्तरीय विचाराधीन समीक्षा समिति में अपने पद का उपयोग करने और जेलों से ऐसे कैदियों की रिहाई में तेजी लाने का आग्रह करता हूं. प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि कानूनी सहायता की मदद से यह जरूर सफल होगा. प्रधानमंत्री नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की आल इंडिया मीट को संबोधित कर रहे थे.


पीएम मोदी ने नालसा की ओर से देश मे पहली बार आयोजित की गई इस आल इंडिया मीट का उदघाटन किया. उदघाटन समारोह को सीजेआई एनवी रमना, नालसा एक्जीक्यूटिव चेयरमैन जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सम्बोधित किया.


अनुच्छेद 39 की जानकारी दी
प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में संविधान के अनुच्छेद 39 की जानकारी देते हुए कहा कि "संविधान का अनुच्छेद 39 ए देश के आम लोगों तक न्याय पहुंचाने को महत्व देता है. उन्होंने कहा कि आम नागरिकों को कानून और न्याय का यह विश्वास नागरिकों को सुनिश्चित करता है कि उनके अधिकारों की रक्षा अदालतें कर रही हैं."


पीएम मोदी ने देश मे न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार की पहल के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, "हमने पिछले 8 वर्षों में न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अथक प्रयास किया है और न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए लगभग 9,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

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