EWS आरक्षण जारी रहेगा, सुप्रीम कोर्ट के 5 में से 3 जजों ने पक्ष में दिया फैसला
EWS यानी आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाया है. सबसे पहले जस्टिस माहेश्वरी ने फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण 50% की अधिकतम सीमा के कारण बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि अधिकतम सीमा लचीली है. 103वें संविधान संशोधन को आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण देकर बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है.
नई दिल्ली: EWS यानी आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच की अलग-अलग राय है. 3 जजों ने आरक्षण के समर्थन में फैसला दिया है. इसलिए आरक्षण जारी रहेगा. सबसे पहले जस्टिस माहेश्वरी ने फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण 50% की अधिकतम सीमा के कारण बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि अधिकतम सीमा लचीली है. 103वें संविधान संशोधन को आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण देकर बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है.
जस्टिस रविंद्र भट्ट और सीजेआई यूयू ललित ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई है. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मोदी सरकार की बड़ी जीत है.
फैसले की बड़ी बातें
-न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने भी दाखिला, सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण बरकरार रखा
-न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधी 103वें संविधान संशोधन को बरकरार रखा और कहा कि यह संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है
-न्यायमूर्ति भट ने अपना अल्पमत का विचार पेश करते हुए कहा कि आरक्षण संबंधी 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता और ईडब्ल्यूएस आरक्षण को समाप्त करना होगा.
कब आया था आर्थिक आधार पर आरक्षण
103वें संविधान संशोधन को जनवरी 2019 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव हारने के तुरंत बाद मंजूरी दे दी गई थी, और इसे तुरंत सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. आरक्षण का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को लाभ पहुंचाना था.
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