नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत में कुल स्वीकृत जजों के 34 पदों पर सीजेआई यूयू ललित सहित कुल 30 जज कार्यरत हैं. हाल ही में, जस्टिस एन वी रमन्ना के सीजेआई पद से सेवानिवृत्त होने पर सर्वोच्च अदालत में चौथा पद रिक्त हुआ है. जस्टिस यूयू ललित के देश के 49 वें सीजेआई बनने के बाद अगले 1-2 सप्ताह में उनके कार्यकाल की पहली कॉलेजियम की बैठक हो सकती है. संभवतया इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर कुछ निर्णय लिए जा सकते हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में ये चर्चा शुरू हो गयी कि इन चार पदों के लिए कॉलेजियम किसे चुनेगा.


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इन्हें मिल सकती है सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति 


वरिष्ठता के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश हैं. 11 अक्टूबर, 2021 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद पर अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जस्टिस बिंदल अगले साल 15 अप्रैल, 2023 को सेवानिवृत्त होंगे. हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बिंदल का अभी 8 माह कार्यकाल शेष हैं.


जस्टिस राजेश बिंदल के बाद अगर किसी जज का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वे है मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम एन भण्डारी का, जिनका कार्यकाल 8 दिन बाद यानी 12 सितंबर, 2022 को समाप्त होने जा रहा है. मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर वे 12 सितंबर, 2022 को सेवानिवृत होने जा रहे हैं. 


कानूनी जानकारों के अनुसार, ऐसे बहुत कम मौके आए है जब इतने कम समय में किसी जज की नियुक्ति के लिए कवायद हुई हो. ऐसे में क्या इन 8 दिनों में जस्टिस एमएन भंडारी की की पदोन्नति को लेकर कॉलेजियम की सिफारिश से लेकर केंद्र की मंजूरी की कवायद हो सकती है. फिलहाल देश की सर्वोच्च अदालत में राजस्थान हाईकोर्ट के प्रतिनिधित्व के रूप में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी मौजूद हैं. जिनका कार्यकाल अगले वर्ष मई-जून, 2023 तक समाप्त होगा.  


जस्टिस एमएन भंडारी को नहीं मिली थी पूर्ण सहमति


जस्टिस एमएन भंडारी के नाम पर पूर्व सीजेआई एन वी रमन्ना की पूर्ण सहमति नहीं मिल पायी थी. जिसके बाद ये माना जा रहा था कि जस्टिस ललित के सीजेआई बनने के बाद इस मामले में कुछ आगे बढ़ा जा सकता है. जस्टिस भंडारी के पक्ष में एक मजबूत पक्ष ये भी माना जाता हैं कि वर्तमान कॉलेजियम के अधिकांश सदस्य उनके नाम पर सहमति दे सकते हैं. लेकिन इस कवायद के लिए वक्त बेहद कम है.


कौन हैं जस्टिस एमएन भंडारी


जस्टिस एम एन भण्डारी मूल राजस्थान हाईकोर्ट के जज हैं जिन्हे 5 जुलाई, 2007 को हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. करीब 12 साल राजस्थान हाईकोर्ट में जज रहने के बाद मार्च 2019 में उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया था. 26 जून, 2021 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था. 


इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हे 22 नवंबर, 2021 को मद्रास हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाकर भेजा गया. बाद में 14 फरवरी 2022 को उन्हे मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.


पदोन्नति के लिए इन जजों का नाम भी चर्चा में 


जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एम एन भण्डारी के बाद सर्वाधिक नाम डॉ जस्टिस एस मुरलीधर का हैं, जो वरिष्ठता क्रम में भी हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीशों में दूसरे नंबर पर हैं और वर्तमान मं उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं उन्हे 19 मई 2006 को दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. जस्टिस मुरलीधर 7 अगस्त 2023 को सेवानिवृत होंगे. हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनके कार्यकाल का करीब एक वर्ष शेष हैं. इसके साथ ही वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के प्रतिनिधि के तौर पर 4 जज मौजूद हैं.


बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपाकंर दत्ता का नाम भी सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए सर्वाधिक चर्चा में हैं. जस्टिस दत्ता 22 जून 2006 को कोलकाता हाईकोर्ट में जज नियुक्त किए गए थे. जस्टिस दत्ता का कार्यकाल 8 फरवरी 2027 तक हैं ऐसे में उनके पास हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के तौर पर एक लंबा कार्यकाल शेष हैं.


झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन मूल पटना हाईकोर्ट के जज हैं. उन्हे 14 जुलाई 2008 को पटना हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था उनका कार्यकाल 19 दिसंबर 2022 तक हैं जस्टिस एम एन भण्डारी के बाद इस वर्ष मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त होने वाले ये दूसरे जज होंगे. फिलहाल देश की सर्वोच्च अदालत में पटना हाईकोर्ट का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम जस्टिस रंजन के नाम पर विचार कर सकता


जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के जज जस्टिस अली मोहम्मद मागरे का नाम भी सुप्रीम कोर्ट जज के लिए चर्चा में हैं, जस्टिस मागरे  देश की सर्वोच्च अदालत में आने वाले पहले कश्मीरी मुस्लिम जज हो सकते हैं. जस्टिस मागरे 7 दिसंबर 2022 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में उनका कार्यकाल तीन माह से भी कम समय का बचा है. देश की सर्वोच्च अदालत में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के तौर पर जस्टिस अब्दुल नजी़र के उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस मागरे की नियुक्ति की जा सकती हैं.


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