देश की अदालतों में सिर्फ 19% महिला जज, 5 हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि देशभर की अदालतों में कार्यरत महिला जजों की संख्या 3815 है. देश की सर्वोच्च अदालत लेकर 25 हाई कोर्ट के साथ अधीनस्थ अदालतों में महिला जजों की संख्या देश में कार्यरत कुल जजों की संख्या का मात्र 19.02 प्रतिशत है.
नई दिल्ली: राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि देशभर की अदालतों में कार्यरत महिला जजों की संख्या 3815 है. देश की सर्वोच्च अदालत लेकर 25 हाई कोर्ट के साथ अधीनस्थ अदालतों में महिला जजों की संख्या देश में कार्यरत कुल जजों की संख्या का मात्र 19.02 प्रतिशत है.
सुप्रीम कोर्ट में हैं 4 महिला जज
राज्यसभा सदस्य डॉ. अमी याज्ञिक ने आजादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट सहित देशभर की अदालतों में महिला प्रतिनिधित्व को लेकर सवाल किया. जवाब में कानून मंत्री ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत कुल 34 पदों पर 32 जज कार्यरत हैं. उनमें से 4 महिला जज हैं, जो की 12.5 प्रतिशत हैं. सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की सर्वोत्तम संख्या वर्तमान में ही हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट में सर्वाधिक महिला जज
वर्तमान में 25 हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत 1108 पदों पर 727 जज कार्यरत हैं. इनमें महिला जजों की संख्या 96 है. ये हाई कोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या का 13.2 प्रतिशत है.
कार्यरत महिला जजों की संख्या के मामले में देश की राजधानी स्थित दिल्ली हाई कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट में सर्वोत्तम संख्या है. दिल्ली हाई कोर्ट देश में सर्वाधिक कार्यरत महिला जज वाला हाई कोर्ट है. यहां पर कार्यरत 46 जजों में 12 महिला जज हैं. वहीं मद्रास हाई कोर्ट में कार्यरत 56 जजों में से 12 महिला जज हैं, जो 21.42 प्रतिशत हैं.
गुजरात हाई कोर्ट में सिर्फ 5 महिला जज
तेलंगाना हाई कोर्ट में कार्यरत 32 जजों में 9 महिला जज कार्यरत हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या 8 है, लेकिन यहां पर कार्यरत कुल जजों की संख्या 71 का ये मात्र 11.2 प्रतिशत हैं. कोलकता हाई कोर्ट और पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में 7-7 महिला जज कार्यरत हैं. इलाहाबाद, केरल और गुजरात हाई कोर्ट में ये संख्या 5 हैं.
5 हाई कोर्ट में 1 भी महिला जज नहीं
देश के 5 हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है. पटना हाई कोर्ट में वर्तमान में 40 कार्यरत जज हैं, लेकिन इनमें एक भी महिला जज नहीं है. इसी तरह से उत्तराखंड हाई कोर्ट, मणिपुर हाई कोर्ट, मेघालय हाईकोर्ट और त्रिपुरा हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं है.
निचली अदालतों में यूपी में सर्वाधिक
देश की निचली अदालतों में स्वीकृत पदों की कुल संख्या 24631 हैं इन स्वीकृत पदों पर कुल कार्यरत जजों की संख्या 19289 हैं. इसमें भी कार्यरत महिला जज की संख्या 3719 है. निचली अदालतों में कार्यरत पुरुष जजों के अनुपात में महिला जजों का प्रतिशत 19.28 है.
निचली अदालतों में कार्यरत 3719 महिला जजों में जिला न्यायाधीश स्तर की 1435 और सिविल न्यायाधीश स्तर पर कुल 1611 महिला जज कार्यरत हैं.
निचली अदालतों में सर्वाधिक महिला जजों की संख्या के मामले में 404 जजों की संख्या के साथ उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है. महाराष्ट्र में 346, मध्य प्रदेश में 300, राजस्थान में 260, बिहार में 256, तमिलनाडु में 216 और पश्चिमी बंगाल में 210 महिला जज कार्यरत हैं.
100 से अधिक महिला जज वाले राज्यों में उड़ीसा 186, दिल्ली 166, पंजाब 156, तेलंगाना 131, आंध्र प्रदेश 123, असम 120 और गुजरात 104 शामिल हैं.
देश के एकमात्र राज्य सिक्किम और 4 केंद्र शासित प्रदेशों की निचली अदालतों में एक भी महिला जज कार्यरत नहीं हैं, इनमें दादरा और हवेली, दमन और दीव, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार शामिल हैं.
पहली महिला जज की नियुक्ति में लगे कई साल
देश में 1950 में सुप्रीम कोर्ट का नए रूप में गठन किए जाने के बाद पहली महिला न्यायाधीश मिलने में चार दशक का वक्त लगा. 6 अक्टूबर 1989 वो ऐतिहासिक दिन रहा, जब जस्टिस फातिमा बीवी को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. 14 नवंबर 1950 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुईं जस्टिस फातिमा बीवी मई 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ के रूप में नियुक्त हुई थी.
जस्टिस फातिमा बीवी को 8 अप्रैल 1983 को केरल हाई कोर्ट में न्यायिक कोटे से जज के रूप में नियुक्त किया गया था. हाई कोर्ट में 6 वर्ष की सेवा के बाद उन्हें 6 अक्टूबर 1989 को सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज के रूप में नियुक्त किया गया, 24 अप्रैल 1992 को वे सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुई.
2027 में मिलेगी देश को पहली सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट में वकील कोटे से किसी महिला के न्यायाधीश बनने में 68 साल का वक्त लगा. वर्ष 2018 में वकील कोटे से जस्टिस इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त होने वाली पहली महिला जज रहीं. यही हाल देश के दूसरे हाई कोर्ट के हैं. कई हाईकोर्ट में तो चार दशक तक कोई महिला जज ही नहीं बन पाई. यहां तक की कई हाई कोर्ट में पहली महिला जज मिलने में ही 50 साल से ज्यादा वक्त लगा.
आजादी के बाद से देश को महिला राष्ट्रपति, महिला प्रधानमंत्री और कई महिला मुख्यमंत्री व गवर्नर मिल चुके हैं, लेकिन देश को अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के लिए अभी 5 साल का इंतजार करना होगा. अब तक सुप्रीम कोर्ट में 11 महिला जजों की नियुक्ति हो पाई है. पहली बार, तीन महिला जजों ने 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली, जिसमें जस्टिस बीवी नागरत्न भी शामिल हैं. वे सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस (CJI) बनने की कतार में हैं.
अदालतों में महिला जजों की मौजूदगी केवल महिलाओं के प्रतिनिधित्व को ही नहीं दर्शाती है, बल्कि न्याय की उम्मीद में अदालत की चौखट तक आने वाली हर महिला को मजबूती का अहसास दिलाती है.
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