राम के नाम पर हो गया रार, जज से भिड़ गए वकील
कोर्ट में सुनवाई के वक्त मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन और जस्टिस अशोक भूषण के बीच जबरदस्त बहस चली.
सदियों साल पुराना वो केस जिसे लेकर हर कोई फाइनल फैसला सुनना चाहता है. हर कोई टकटकी लगाए इंतजार कर रहा है कि राम के नाम पर छिड़ा घमासान आखिरकार कब थमेगा. इस बीच देश की देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई के 27वें दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन जज से भिड़ गए. कोर्ट में सुनवाई के वक्त वकील राजीव धवन और जस्टिस अशोक भूषण के बीच जबरदस्त बहस चली.
बहस की वजह
दरअसल, जस्टिस अशोक भूषण कोर्ट में गवाह राम सूरत तिवारी की गवाही पर बात कर रहे थे. गवाह राम सूरत तिवारी ने विवादित जगह पर 1935 से 2002 तक पूजा करने और साल 1935 में इमारत के भीतर मूर्ति देखने का दावा किया था. इसी बयान को लेकर जब जस्टिस अशोक भूषण ने चर्चा की बात कही तो वकील धवन ने आपत्ति जताते हुए ये कहा कि अविश्वसनीय बयान पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. धवन की आपत्ति पर जस्टिस भूषण नाराज हो गए और कहने लगे कि चर्चा हर बात की हो सकती है. बात को देखना कैसे है, यह कोर्ट का काम है. इस पर वकील राजीव धवन ने जज से कहा, 'आपका लहज़ा आक्रामक है. मैं इससे डर गया.' धवन के रवैये पर बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ और वकील वैद्यनाथन ने ऐतराज जताया. इसके तुरंत बाद ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने माफी मांग ली.
इस दौरान धवन ने बहस के दौरान जोसेफ तेफेन्थेलर का ज़िक्र किया. इसके अलावा रामचबूतरे की स्थिति और एक तस्वीर का ज़िक्र भी किया.
कैसे हुई अयोध्या विवाद की शुरुआत
साल 1528 में बाबर ने यहां एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था. इसके करीब 325 साल बाद मामले ने उस वक्त तूल पकड़ा जब साल 1853 में हिंदू पक्षकारों ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ है. उस वक्त मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई. इसके बाद साल 1859 में ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी. और फिर सन् 1885 में मामला पहली बाद अदालत की चौखट पर पहुंचा. महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की.
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद सैकड़ों साल पुराना है. ऐसे में हर किसी को इसपर अंतिम फैसले का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार है.