निर्भया कांड को बीते 10 साल, फिर भी महिलाओं की स्थिति बदहाल, DWC चीफ ने उठाए अहम सवाल
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक युवती का चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था. पीड़िता को बाद में निर्भया नाम दिया गया. कई दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद उसने दम तोड़ दिया था. इस मामले में राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति दोषी पाए गए थे.
नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर निर्भया सामूहिक बलात्कार की घटना के 10 साल होने पर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए संसद के दोनों सदनों में दिन के कामकाज को स्थगित करने का आग्रह किया.
राजधानी में हर दिन बलात्कार के 6 मामले
मालीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन बलात्कार के छह मामले सामने आते हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध किसी महामारी की तरह बढ़ गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ दिल्ली में आठ महीने की बच्ची से लेकर 90 साल की महिला तक का बलात्कार किया जा रहा है.’’ मालीवाल ने दिल्ली में हाल ही में 17 वर्षीय लड़की पर हुए तेजाब हमले का भी जिक्र किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘ महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध की समस्या किसी महामारी की तरह बढ़ गई है और सरकार इससे निपटने के लिए कुछ भी कर पाने में असमर्थ है. यहां तक कि महिलाओं और लड़कियों के लिए राहत राशि देने व उनके पुनर्वास के लिए बनाए गए निर्भया कोष में भी काफी कटौती की गई है.’’
महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराध गंभीर चिंता का विषय
उन्होंने कहा, ‘‘ महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराध गंभीर चिंता का विषय है और इनसे निपटने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाने की जरूरत है. इसलिए मैं, आज आपसे सदन की कार्यवाही स्थगित करने और सदन में महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराध पर चर्चा करने का अनुरोध करती हूं.’’
साल 2012 में राजधानी में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक युवती का चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था. पीड़िता को बाद में निर्भया नाम दिया गया. कई दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद उसने दम तोड़ दिया था. इस मामले में राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति दोषी पाए गए थे. इनमें से एक नाबालिग था, जिसे 2015 में रिहा कर दिया गया था. वहीं चार दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दी गई, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ कारागार में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
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