नई दिल्लीः गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी की उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) के साथ झांसी में हुई मुठभेड़ में मौत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीत सरकार के पिछले छह साल के कार्यकाल में हुई विभिन्न मुठभेड़ों में राज्य में 183 अपराधी मारे गए हैं. विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘20 मार्च, 2017 से राज्य में पुलिस मुठभेड़ों में 183 अपराधियों को मार गिराया गया है.’’ 


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जानिए कितनी बार हुई है मुठभेड़
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 20 मार्च, 2017 से राज्य में 10,900 से अधिक पुलिस मुठभेड़ हुई हैं, जिनमें 23,300 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, 5,046 अपराधी घायल हुए हैं तथा 183 अपराधी मारे जा चुके हैं . पुलिस मुठभेड़ों में घायल होने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या 1,443 है. 


13 जवान भी हुए शहीद
उप्र पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से राज्य में हुई मुठभेड़ों में अब तक 13 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. इनमें एक पुलिस उपाधीक्षक सहित वे आठ पुलिसकर्मी शामिल हैं जो जुलाई 2020 में कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में घात लगाकर बैठे गैंगस्टर विकास दुबे के साथियों की गोलीबारी में मारे गए थे. वहीं, मध्य प्रदेश के उज्जैन से उत्तर प्रदेश वापस लाने के दौरान दुबे ने भागने का प्रयास किया था और मुठभेड़ में मारा गया. 


पुलिस ने बताया था कि वापसी में वाहन पलटने के बाद दुबे ने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनकर भागने का प्रयास किया था. वहीं, सरकार के आलोचकों और विपक्षी दलों का आरोप है कि इनमें से कई मुठभेड़ फर्जी हैं और उनके सही तथ्यों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया है और दावा किया कि 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है. 


अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को झांसी में हुई मुठभेड़ में असद के मारे जाने को लेकर सवाल उठाए थे. उत्तर प्रदेश विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने बृहस्पतिवार को झांसी में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और उसके एक साथी गुलाम को मुठभेड़ में मार गिराया. 


उमेश पाल हत्याकांड में असद और गुलाम नामजद आरोपी थे. 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मुठभेड़ के कुछ ही घंटे बाद यादव ने ट्वीट किया, ‘‘झूठे मुठभेड़ करके भाजपा सरकार सच्चे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाह रही है. 


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