नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को 67 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ है. जहां लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड किया वहीं राज्यसभा से 34 सांसद सस्पेंड हुए हैं. इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों के निलंबन की यह हाल के सालों में सबसे बड़ी घटना है. दरअसल विपक्षी सांसद संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में लगातार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के वक्तव्य की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला इस मुद्दे पर कहा है कि सुरक्षा में सेंध के मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. बता दें कि ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले को बेहद चिंताजनक बताया है. 


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निलंबन पर क्या बोले अधीर रंजन
इस बीच निलंबन को लेकर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है-मेरे साथ अन्य नेताओं को भी सस्पेंड किया गया है. हम सभी अपने पहले निलंबित सांसदों को दोबारा सदन में बहाल करने की मांग कर रहे थे. इसके अलावा गृह मंत्री के सदन में वक्तव्य की मांग हमने की है. अधीर रंजन ने कहा- गृह मंत्री टीवी चैनलों पर प्रतिदिन बोलते हैं, उन्हें संसद में भी कुछ बोलना चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि सरकार ने संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में क्या कदम उठाए हैं. 


क्या बोले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा- 13 दिसंबर 2023 को संसद पर एक हमला हुआ, आज फ़िर मोदी सरकार ने संसद और लोकतंत्र पर हमला किया है. तानाशाही मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर, सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है.


हमारी दो सरल और सहज मांगे हैं -
1. केंद्रीय गृह मंत्री को संसद की सुरक्षा में गंभीर उल्लंघन पर संसद के दोनों सदनों में बयान देना चाहिए. 2. इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.  


प्रधानमंत्री जी अखबार को इंटरव्यू दे सकते हैं. गृह मंत्री टीवी चैनलों को इंटरव्यू दे सकते हैं... लेकिन, भारत की संसद जो देश के पक्ष-विपक्ष दोनों, पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है, यहां भाजपा अपनी जवाबदेही से भाग रही है! विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है!



वहीं विपक्षी सांसदों के निलंबन पर शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है- ऐसी तानाशाही नहीं चलेगी. यह देश को स्वीकार नहीं है. उन्हें बहुमत लोगों के विश्वास के कारण मिला है. बहुमत उन्हें मिला क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्वपूर्ण विषय माना. लेकिन आज देश की सबसे सुरक्षित इमारत की सुरक्षा में सेंध लगी है. न ही प्रधानमंत्री और न ही गृह मंत्री ने इस पर कुछ बोला है. हम उनके वक्तव्य की मांग करते हैं.


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