नई दिल्ली: कोरोना काल (Corona Virus) में डिप्रेशन की समस्याओं में तेजी देखी जा रही है. लोगों की मेंटल हेल्थ के लिए कोरोना बहुत घातक साबित हो रहा है. इस महामारी के समय डिप्रेशन हेल्पलाइन नंबर पर कॉल्स का आंकड़ा करीब 500 प्रतिशत तक बढ़ चुका है.


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कोरोना बना डिप्रेशन की वजह
लॉकडाउन (Lockdown) और कोरोना (Corona Virus Cases) ने न सिर्फ हमारे रहन-सहन बल्कि दिमाग पर भी कब्जा कर लिया है. कोरोना काल की वजह से लोगों के बीच आपसी मेल-जोल कम हो रहा है जिसकी वजह से भी लोगों में तनाव ज्यादा देखा जा रहा है.


कोरोना काल (Corona Update) को एक साल से ज्यादा समय हो चुका है और इसने लोगों की मेंटल हेल्थ को काफी प्राभावित किया है. लगातार बढ़ रहे संक्रमण और पाबंदियों से लोगों की जिंदगी में काफी बदलाव आए हैं. जिससे तनाव, चिंता और अवसाद की शिकायतें बढ़ गईं.


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दोबारा इस संक्रमण के बढ़ने से लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. इसमें बच्चे भी पीड़ित हुए हैं. मनोचिकित्सकों के अनुसार काफी समय से लोगों को परिवार के साथ रहने की आदत छूट गई थी.


कोरोना (Corona Pandemic) के चलते लोग अपने परिवार के साथ रहने पर मजबूर है. ऐसे में ज्यादातर लोग घुटन महसूस कर रहे हैं. वह खुल कर बात नहीं कर पा रहे, अपनी बात रख नहीं पा रहे, घर से बाहर निकल कर दोस्तों से मिल कर मन को हल्का नहीं कर पा रहे.


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प्रतिदिन डिप्रेशन हेल्पलाइन्स पर 100-150 कॉल्स
कोरोना के चलते डिप्रेशन हेल्पलाइन्स पर कॉल की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है. जहां एक दिन में 25 से 30 कॉल्स डिप्रेशन हेल्प लाइन पर रिसीव की जाती थी वहीं अब हर दिन लग बाग 100 से 150 कॉल्स रिसीव की जा रही हैं.


मानसिक तनाव के चलते परिवारों में आपस में लड़ाई के मामले भी सामने आए हैं..जहां पर लोगों हेल्पलाइन पर कॉल करके डोमेस्टिक वायलेंस की भी शिकायतें की है.


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