नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 साल पुराने 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले की आरोपी शिवानी सक्सेना को दुबई और इटली जाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. लेकिन हाईकोर्ट ने शिवानी सक्सेना की ओर से दायर याचिका में आंशिक राहत देते हुए निचली अदालत में जाने की छूट जरूर दी है.


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विदेश जाने की अनुमति नहीं हुई स्वीकार


जस्टिस वी के राव ने ईडी के अधिवक्ता की ओर से दिये गये तर्कों से सहमति जताते हुए ये आदेश दिये हैं.  हाईकोर्ट ने शिवानी सक्सेना को विदेश जाने की अनुमति और लुक आउट सर्कुलनर को वापस लेने का प्रार्थना पत्र स्पेशल कोर्ट के समक्ष पेश करने की छूट दी है.


हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत विधिसम्मत तरीके से मामले का निस्तारण करे. शिवानी सक्सेना की ओर से अप्रैल माह में दुबई और इटली जाने के लिए कोर्ट से आवेदन किया था. इसके साथ ही गृह मंत्रालय की ओर से जारी किये गये  लुक आउट सर्कुलर को भी चुनौती दी गई थी.


शिवानी के वकील ने पेश की ये दलीलें


वहीं शिवानी की ओर से एडवोकेट आर के हांडू ने कहा कि लुक आउट सर्कुलर के जरिए याचिकाकर्ता के यात्रा के अधिकार को रोक दिया गया है. जबकि किसी भी नागरिक के यात्रा के अधिकार को सिर्फ पासपोर्ट एक्ट की धारा 10 ए और 10 बी के तहत ही ऐसा किया जा सकता है. पहले भी हाईकोर्ट द्वारा उसके याचिकाकर्ता को 3 जनवरी को विदेश जाने की अनुमति दी गई थी ऐसे में ​इस याचिका को सुनवाई का अधिकार केवल हाईकोर्ट के पास है.


ईडी की ओर से इस याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया गया. ईडी की ओर से एडवोकेट जोहेब हुसैन ने पैरवी करते हुए कहा कि लुक आउट सर्कुलर के विड्रावल के लिए स्पेशल कोर्ट के समक्ष ही आवेदन करना था. जिस कोर्ट ने दर्ज शिकायत पर प्रसंज्ञान लिया है साथ ही 30 अप्रैल की सुनवाई के लिए सम्मन जारी किया है. ऐसे में सीधे हाईकोर्ट में याचिका के जरिए दायर कर चुनौती दी गई है जिसके चलते ये याचिका सुनवाई करने योग्य नही है.


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ईडी की ओर से कहा गया कि लुक आउट सर्कुलर को केवल ट्रायल कोर्ट द्वारा रद्द किया जा सकता है, जहां मामला लंबित है. जहां तक 3 जनवरी 2022 विदेश जाने की अनुमति देने की बात है, उसे कोविड के तहत दिया गया आदेश माना जाना चाहिए. पूर्व की यात्राओं के समय निचली अदालत में अभियोजन को लेकर कोई शिकायत लंबित नहीं थी, लेकिन इस वक्त परिस्थि​तियों में बदलाव है और इस मामले में अभियोजन शिकायत लंबित है, इसलिए पहले के आदेश के उदाहरण वर्तमान याचिका में नहीं दिये जा सकते.


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