नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार (Ajit Pawar) ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य के सूचना एवं प्रचार विभाग में 500 करोड़ रुपये का एक घोटाला हुआ था.


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1). क्या सचमुच हुआ 500 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला?
अजित पवार ने दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री (फडणवीस) की मंजूरी के बिना 2019 में सरकारी अधिकारियों ने 500 करोड़ रुपये से अधिक के मीडिया विज्ञापनों के लिए मंजूरी दी. उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से घोटाले में शामिल अधिकारियों को दंडित करने की मांग की.


2). अधिकारियों ने फाइल में किया था ये जिक्र- अजित पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता पवार ने विधानसभा में कहा कि अधिकारियों ने फाइल में जिक्र किया था कि मुख्यमंत्री को विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए 500 करोड़ रुपये के खर्च के बारे में सूचित किया गया लेकिन वास्तव में उनसे मंजूरी नहीं ली गई थी.


3). 'जब मुख्यमंत्री थे देवेंद्र फडणवीस, विज्ञापनों को मिली थी मंजूरी'
महाराष्ट्र में 2014-19 के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (अविभाजित) की गठबंधन सरकार थी और फडणवीस मुख्यमंत्री थे. पवार ने कहा, 'ऐसे दोषियों को निलंबित कर दंडित किया जाना चाहिए. मीडिया विज्ञापनों के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी आवश्यक है. इस मामले में, चुनावी वर्ष 2019 के दौरान मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना 500 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापनों को मंजूरी दी गई थी.'


बृजेश सिंह 2019 में सूचना और प्रचार विभाग के महानिदेशक थे. पवार ने सिंह का नाम लिए बिना कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में हुई जांच ने तत्कालीन प्रमुख सचिव (सामाजिक न्याय) और सूचना एवं प्रचार विभाग के महानिदेशक को अभ्यारोपित किया, जो अभी मुख्य सचिव के रूप में मुख्यमंत्री कार्यालय में हैं.


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