हिंदू विवाह को लेकर High Court की बड़ी टिप्पणी, कहा- `7 फेरे नहीं लिए तो शादी...`
Allahbad High Court on Hindu Marriage: इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक सात फेरों की रस्म पूरी न हो. इसके बिना शादी को वैध नहीं माना जाता है.
नई दिल्ली: Allahbad High Court on Hindu Marriage: हिंदू धर्म में शादी के दौरान फेरों की रस्म को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है. माना जाता है कि जब तक 7 फेरे न हो जाएं, शादी पूरी नहीं होती. अब इस पर इलाहबाद हाई कोर्ट ने भी ठप्पा लगा दिया है. कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं माना जाता, जब तक 7 फेरे न लिए जाएं. सारे रीति-रिवाजों से संपन्न हुए विवाह को कानूनी तौर पर वैध माना जाएगा.
क्या था मामला
हिंदू विवाह पर यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की. दरअसल, स्मृति सिंह उर्फ मौसमी ने अप्रैल 2022 में कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें बताया कि 2017 मौसमी की शादी सत्यम सिंह से हुई. कुछ समय बाद मौसमी ने अपने पति और ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज और मारपीट करने का मामला दर्ज कराया. मौसमी के पति सत्यम ने पत्नी पर बिना तलाक के दूसरी शादी करने का मामला दर्ज कराया. लेकिन जब उससे इस बारे में सबूत मांगे गए तो उसके पास महज एक फोटो था. इसमें भी महिला का चेहरा धुंधला था. सत्यम के पास ऐसा कोई सबूत भी नहीं था जिसमें मौसमी फेरे लेते हुए दिखाई दे रही हो.
हाई कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में दिया फैसला
पुलिस ने इस मामले को झूठा पाया. इसके बाद मौसमी के पति ने वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में परिवाद दायर किया. जिस पर अदालत ने मौसमी को समन जारी किया. इसी समन के खिलाफ मौसमी हाई कोर्ट पहुंची. मौसमी ने बताया कि उसके पति ने यह मामला बदले की भावना से किया है, उसके पास मेरी शादी के कोई सबूत नहीं हैं. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद जिला कोर्ट का समन रद्द कर दिया और मौसमी के हक में फैसला दिया
हाई कोर्ट के फैसले का आधार क्या
कोर्ट ने कहा, 'यह स्थापित नियम है कि जब तक उचित ढंग से विवाह संपन्न नहीं किया जाता, वह विवाह संपन्न नहीं माना जाता. हिंदू कानून के तहत सप्तपदी यानी 7 फेरे की रस्म, एक वैध विवाह का आवश्यक घटक है. लेकिन इस मामले में इस साक्ष्य की कमी है. लिहाजा, कनून की नजर में शादी लीगल नहीं है.' कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा सात को अपने फैसले का आधार बनाया. इस धारा के मुताबिक, एक हिंदू विवाह पूरे रीति रिवाज से होना चाहिए. जिसमें सप्तपदी यानी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेना जरूरी है. तभी विवाह को पूर्ण माना जाता है.
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