लखनऊ: रमजान के पवित्र महीने के आखिरी शुक्रवार को दी जाने वाली 'अलविदा नमाज' को लेकर राज्य की राजधानी लखनऊ में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है. करीब दो साल के अंतराल के बाद मस्जिदों में नमाज अदा की जाएगी. कोविड -19 महामारी के दौरान, केवल पांच व्यक्तियों को एक समूह में नमाज अदा करने की अनुमति थी.


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क्या कहते हैं मौलाना खालिद राशिद
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रमुख और ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने लोगों से शांति बनाए रखने और निर्धारित कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है. 


इन दिनों छिड़ा है विवाद
देश भर में 'अजान' और 'हनुमान चालीसा' के गायन को लेकर चल रहे विवाद को देखते हुए पुराने शहर के इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मस्जिदों, दोनों बड़ी और छोटी, सभी को 'अलविदा नमाज' के लिए सजाया गया है और मस्जिदों के आसपास के इलाकों को साफ कर दिया गया है. लोगों को चिलचिलाती धूप से बचाने के लिए टेंट लगाए गए हैं. कई हिंदू संगठनों ने उपवास नहीं रखने वालों को 'शरबत' और पानी पिलाने के लिए स्टाल लगाए हैं.


क्या है अलविदा जुमा
Alvida Jumma 2022: अलविदा जुमा यानी रमजान माह के आखिरी शुक्रवार की नमाज को कहते हैं. इस बार 29 अप्रैल को अलविदा जुम्मा है, इस दिन का इस्लाम में बहुत ही खास महत्व है. मान्यता है कि रमजान (Ramzan) के तीसरे और आखिरी अशरे में की गई इबादत रोजेदारों को जहन्नुम की आग से बचाती है. अलविदा जुमे के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाते हैं. 

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