नहीं रद्द होगी अमरनाथ यात्रा, सरकार ने फैसला वापस ले लिया है
इससे पहले कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मु ने 38वीं बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता की. बुधवार को जम्मू में राज भवन में हुई इस बैठक में यात्रा को रद्द करने का फैसला किया गया था. हालांकि बाद में फैसला वापस ले लिया गया.
श्रीनगर: कोरोना लॉकडाउन के बीच सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. 23 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा अभी रद्द नहीं की जा रही है. सरकार ने इस पर फैसला वापस ले लिया है. पहले यह जानकारी सामने आई थी कि सरकार इस यात्रा को रद्द कर रही है, लेकिन फिर इस पर अपडेट जानकारी सामने रखी गई है. कोरोना महामारी के चलके 3 मई तक लॉकडाउन है. यात्रा की शुरू होने की तारीख जून का आखिरी महीना है, ऐसे में इस पर लिए गए निर्णय को वापस लिया गया है.
पहले की गई रद्द करने की बात
इससे पहले कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मु ने 38वीं बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता की. बुधवार को जम्मू में राज भवन में हुई इस बैठक में यात्रा को रद्द करने का फैसला किया गया था. इस बैठक के बाद कहा गया है कि चूंकि कश्मीर घाटी में 77 रेड जोन हैं इसलिए यात्रा को इस साल रद्द कर देना चाहिए. अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालु इसी रुट से जाते हैं. वहीं महामारी की वजह से श्रद्धालुओं के लिए कैम्प लगाना, मेडिकल फैसिलिटी, लंगर और बर्फ को हटाने का काम भी संभव नहीं है.
पहले यह हुआ था मीटिंग में तय
उप राज्य पाल ने कहा था कि भारत सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया है. आगे की स्थिति भी अभी स्पष्ट नहीं हैं. ऐसे में हम यात्रा की अनुमति नहीं दे सकते. हमारे लिए यात्रियों की सुरक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. अभी वर्तमान की स्थिति को देखते हुए बोर्ड ने एकमत से फैसला लिया था कि साल 2020 में अमरनाथ यात्रा कराना संभव नहीं हो सकेगा. हालांकि बोर्ड ने यह भी तय किया है कि अमरनाथ बाबा बर्फानी की प्रथम पूजा और समापन पूजा पारंपरिक हर्ष और उल्लास के साथ की जाएगी.
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ऑनलाइन दर्शन पर बन रही थी सहमति
बोर्ड की मीटिंग में यह भी तय किया गया था कि बोर्ड इस संभावना को भी देखेगा कि पूजा और शिवलिंग दर्शन दुनिया भर में फैले बाबा के भक्तों तक ऑनलाइन पहुंचाई जा सकती है या नहीं. अमरनाथ यात्रा हर साल जून के महीने में शुरू होती है और करीब 2 महीने तक लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं. कश्मीर के इतिहास में पहली बार होगा जब अमरनाथ यात्रा को कैंसिल करना पड़ा है.
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