नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मादक पदार्थो के कारोबार को ‘सीमा रहित अपराध’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि सरकार की नशीली दवाओं के कारोबार और इस से होने वाली कमाई के खिलाफ 'कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति है और आने वाले दो साल में कितना भी बड़ा अपराधी हो, जेल की सलाखों के पीछे होगा.


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नशा मुक्त भारत बनाने के लिए शाह का प्लान
शाह ने कहा, 'नशा मुक्त भारत के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. यह लड़ाई केंद्र या राज्य की नहीं बल्कि हम सभी की है और इसके वांछित परिणाम के लिए बहु-आयामी प्रयास आवश्यक हैं. इस लड़ाई को केंद्र और राज्य सहित सभी को मिलकर लड़ना होगा.'


उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ से जुड़े लोग ‘मौत का कारोबार’ करने वाले लोग हैं और इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करके इन्हें कानून के शिकंजे में लाना ही होगा. गृह मंत्री ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को लेकर समय-समय पर विपक्ष के सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि एजेंसियां निहत्थी नहीं बैठ सकतीं, उन्हें अधिकार देना होगा.


गृह मंत्री शाह ने कहा कि जो इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं, वे ड्रग के कारोबार का समर्थन कर रहे हैं. लोकसभा में नियम 193 के तहत 'देश में मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाये गये कदम' विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए शाह ने कहा, 'यह सीमा रहित अपराध है. इस अपराध की कोई सीमा नहीं है. कोई भी कहीं से बैठकर मादक पदार्थ भेज देता है और इसमें हमारे बच्चे फंसते है एवं नस्लें बर्बाद होती हैं.'


आने वाले दो साल में होने वाला है कुछ ऐसा
अमित शाह ने कहा कि मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के तहत 419 पदों का सृजन किया गया है. उन्होंने कहा कि हमने 472 जिलों में मैपिंग कर ड्रग्स की आपूर्ति के मार्गों की पहचान की है और इसके तहत बड़ी मात्रा में जब्ती भी की गई है.


उन्होंने कहा, 'आने वाले दो साल में कितना भी बड़ा अपराधी हो... वो जेल की सलाखों के पीछे होगा.' उन्होंने कहा कि सरकार की ड्रग्स के कारोबार और इस से होने वाली कमाई के खिलाफ 'कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति है और इसे तीन हिस्सों में बांट कर लड़ा जा रहा है. गृह मंत्री ने कहा कि इसमें पहली संस्थागत मजबूती एवं सतत निगरानी, दूसरा एजेंसियों का सशक्तीकरण एवं समन्वय तथा तीसरा विस्तृत जागरूकता एवं पुनर्वास अभियान शामिल है.


केंद्र और राज्यों को मिलकर लड़नी है ये लड़ाई
शाह ने कहा, ' हम सहयोग (कॉओपरेशन), समन्वय (कॉर्डिनेशन) और गठजोड़ (कोलेबरेशन) के त्रिसूत्री सिद्धांत के आधार पर काम कर रहे हैं और जब तक ऐसा नहीं होगा.. हम लड़ाई नहीं जीत पायेंगे.' उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘नशामुक्त भारत’ का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी. केंद्र और राज्यों को यह लड़ाई मिलकर लड़नी है.


उन्होंने यह भी कहा कि मादक पदार्थ के कारोबार से मुनाफे का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्त पोषण में होने की सूचना भी है तथा इस दूषित धन (डर्टी मनी) का इस्तेमाल अर्थ तंत्र को भी खोखला करता है. गृह मंत्री ने कहा, ' हम सदन को आश्वस्त करना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.'


पाकिस्तान को लेकर अमित शाह ने क्या कहा?
पाकिस्तान से मादक पदार्थ भेजे जाने के कुछ सदस्यों के उल्लेख पर शाह ने कहा कि पाकिस्तान से अभी कोई कारोबार नहीं हो रहा है, ऐसे में सरहद से होकर नशीले पदार्थ नहीं आते हैं, लेकिन वहां से ड्रोन से आते हैं, सुरंग बनाकर भेजा जाता है और बदंरगाहों के रास्ते आते हैं.


उन्होंने कहा कि व्यापार बंद करने का विषय नहीं है बल्कि जो नये-नये तरीके खोजे जाते हैं उनसे निपटना होगा. गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीति को स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो नशे का सेवन करते हैं, वे इसके पीड़ित हैं और उनके प्रति सहानुभूति होनी चाहिए और उनकी नशामुक्ति के लिए प्रयास होना चाहिए.


उन्होंने कहा कि लेकिन जो व्यापार करते हैं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए तथा कानून के शिकंजे में लाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं किया जाता तो यह पीड़ित के खिलाफ होगा. शाह ने कहा कि सामाजिक वातावरण तैयार करना होगा ताकि जो बच्चा इसमें फंस गया है, वह वापस आ सके और समाज उसे स्वीकार कर ले.


'सभी सांसदों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत'
उन्होंने कहा कि सभी सांसदों को मिलकर इस बारे में प्रयास करने की जरूरत है. उन्होंने ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में सभी राज्यों के सहयोग के लिये आभार प्रकट किया और कहा कि इस लड़ाई में सभी राज्य कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं.


उन्होंने कहा, 'ड्रग्स की छोटी से छोटी जब्ती को भी हम एकाकी रूप में नहीं देख सकते हैं. हवाई अड्डे या बंदरगाह से एक छोटी दुकान तक मादक पदार्थ कैसे पहुंचे, इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए. मुझे खुशी है कि राज्यों के सहयोग से ऐसे मामलों में जांच दोगुनी हुई है.' गृह मंत्री ने मादक पदार्थो की जब्ती एवं इसके खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा देते हुए कहा कि साल 2006 से 2013 के बीच में 22 लाख 41 हजार किलो ड्रग्स जब्त किया गया जबकि 2014 से 2022 तक 62 लाख 60 हजार किलोग्राम मादक पदार्थ पकड़े गये.


उन्होंने कहा कि इसे कीमत के रूप में देखें तो तब 23 हजार करोड़ रुपये मूल्य का ड्रग्स जब्त किया गया था जबकि अब 97 हजार करोड़ रुपये के मादक पदार्थ जब्त कर जलाये जा चुके हैं. शाह ने कहा, 'आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर हमने एक लक्ष्य तय किया था कि हम 60 दिन में 75 हजार किलो ड्रग्स को जलाएंगे लेकिन मुझे बताते हुए हर्ष हो रहा है कि हमने 1 लाख 60 हजार किलो से अधिक ड्रग्स को जलाया है.'


इंटरपोल की महासभा में उठाया गया ये मुद्दा
उन्होंने कहा, 'हमने वर्ष 2019 से विभिन्न चरणों में चार स्तरीय एन-कोड समिति की स्थापना की है, जिसमें जिला से लेकर केंद्र तक समन्वय स्थापित किया गया है. जब तक जिला स्तर पर इस विषय की मीमांसा नहीं की जाएगी तब तक हमारी लड़ाई सफल नहीं होगी.'


शाह ने कहा कि देश में हुई इंटरपोल की महासभा में इस विषय को उठाया गया जिसमें मादक पदार्थ और इससे प्राप्त धन से आतंकवाद के वित्तपोषण पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से इंटरपोल को आग्रह किया गया है कि नारकोटिक्स और आतंकवाद के गठजोड़ का ‘उसी समय सूचना देने’ का तंत्र बनाया जाए, जिससे विभिन्न देशों के बीच समन्वय बढ़ेगा.


उन्होंने बताया कि सरकार ने मादक पदार्थों के दुरुपयोग के मामलों में वित्तीय जांच के लिए कई विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं. उन्होंने गुजरात के एक बंदरगाह पर कुछ महीने पहले मादक पदार्थ की बड़ी खेप पकड़े जाने और इस पर बार-बार कांग्रेस समेत अन्य दलों के सदस्यों की आलोचनाओं पर कहा कि यह खेप सीमाशुल्क विभाग के सॉफ्टवेयर विश्लेषण के आधार पर ही पकड़ी गयी. शाह ने कहा कि जिस राज्य में नशीला पदार्थ पकड़ा जाता है तो इसका यह मतलब नहीं है कि उस राज्य में इसका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है, बल्कि इसका अर्थ है कि उस राज्य में सबसे ज्यादा कार्रवाई होती है.
(इनपुट: भाषा)


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