नई दिल्ली: भारत में स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों का अनुपात 2022 में अब तक की सबसे कम दर दो प्रतिशत पर आ गया है. बुधवार को जारी शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2022 में यह जानकारी दी गई है.


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इन तीन राज्यों को लेकर चिंता बरकरार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समग्र गिरावट के बावजूद, तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 10 प्रतिशत से अधिक लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं जो चिंता का विषय है. स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों का कुल अनुपात 2018 में 4.1 प्रतिशत और 2006 में 10.3 प्रतिशत था.


नवीनतम अध्ययन में ग्रामीण भारत में कुल 19,060 गांवों का सर्वेक्षण किया गया है जिसमें 3,74,544 परिवार और तीन से 16 वर्ष की आयु के 6,99,597 बच्चे शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान लंबे समय तक बंद रहने के बावजूद स्कूलों में दाखिले के आंकड़े 98 प्रतिशत से अधिक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गए.


क्या कहते हैं किन राज्यों के आंकड़े?
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान बड़ा बदलाव सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या है. इसमें कहा गया है, 'छह से 14 आयु वर्ग के लिए दाखिला दर पिछले 15 वर्षों से 95 प्रतिशत से ऊपर रही है. महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के बावजूद, ये आंकड़े 2018 में 97.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 98.4 प्रतिशत हो गए हैं.'


रिपोर्ट के अनुसार सभी कक्षाओं के स्कूली छात्रों की पढ़ाई संबंधी क्षमता 2012 से पहले के स्तर तक गिर गई है, जबकि बुनियादी गणित कौशल 2018 के स्तर तक गिर गया है. इससे पता चलता है कि ज्यादातर राज्यों में सरकारी और निजी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए गिरावट देखी जा सकती है.


रिपोर्ट के अनुसार पढ़ाई करने संबंधी क्षमता में सबसे ज्यादा गिरावट केरल, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में देखी गई है, वहीं गणित कौशल में गिरावट तमिलनाडु, मिजोरम और हरियाणा में देखी गई है.


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