नई दिल्ली: Bengal Bandh 28 August 2024: पश्चिम बंगाल में आज यानी 28 अगस्त, 2024 को बंद का आह्वान किया गया है. कोलकाता रेप-मर्डर केस मामले में  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की जा रही है. इस बंद को ‘नबन्ना अभिजान’ या 'नबन्ना प्रोटेस्ट' भी कहा जा रहा है. ममता बनर्जी के लिए राज्य में ऐसे हालत पहली बार बने हैं, जब राजनीतिक दलों से लेकर छात्र वर्ग भी उनकी खिलाफत कर रहा है. आइए, जानते हैं नबन्ना प्रोटेस्ट की पूरी कहानी...


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क्या है नबन्ना? (What is Nabanna) 
सबसे पहले तो ये जान लें कि नबन्ना बंगाल सरकार के सचिवालय का नाम है. पहले राज्य सरकार का सचिवालय रायटर्स बिल्डिंग में था. लेकिन ममता बनर्जी  साल 2011 में सत्ता में आईं तो उन्होंने हावड़ा में हुबली नदी के किनारे एक बिल्डिंग में सचिवालय बनाया था. इसे ही नबन्ना नाम दिया. नब का मतलब है नया या नवीन. इस बिल्डिंग का निर्माण साल 2013 में हुआ. इसमें 14 मंजिल हैं. टॉप फ्लोर पर CM का ऑफिस है. 13वें फ्लोर पर चीफ और होम सेकेट्री बैठते हैं. चौथे-पांचवे फ्लोर पर कुछ सरकारी विभाग हैं.


लेफ्ट स्टूडेंट्स ने अपनाया नाम
भाजपा ने सबसे पहले ममता के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन का नाम 'नबान्न चलो अभियान' नाम रखा था. इस बार कोलकाता रेप-मर्डर केस के विरोध में वामपंथी छात्र संगठनों द्वारा भी इसी नाम से प्रदर्शन किया जा रहा है. ये छात्र CM ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.


क्या है कोलकाता रेप-मर्डर केस?
बता दें कि इसी महीने की 9 तारीख की रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज की एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप हुआ, इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई. छात्रा के परिजनों का आरोप हो कि अस्पताल के तत्कालीन प्रिसिंपल संदीप घोष और बाकी प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है. इसमें पुलिस पर भी मामले को छिपाने के आरोप लगे हैं. घटना के सामने आने के बाद ममता सरकार घिर गई है. ममता सरकार के खिलाफ छात्रों ने नबन्ना मार्च का आह्वान किया, इससे ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ गई हैं.


संदेशखाली के बाद कोलकाता 
ममता बनर्जी की सरकार और राज्य के प्रशासन पर पहले से ही संदेशखाली मामले पर कई आरोप लग चुके हैं. ममता की पार्टी TMC के नेता पर संदेशखाली की महिलाओं ने यौन शोषन और जमीन हड़पने के आरोप लगाए थे. तब भी आरोप लगे थे कि ममता सरकार ने संदेशखाली के मुख्य आरोपी को बचाने की कोशिश की है. इसके बाद कोर्ट ने भी राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. अब कोलकाता रेप-मर्डर केस भी ममता सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है. संदेशखाली मामले के दौरान भी ममता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए, लेकिन इस बार छात्र, डॉक्टर और आम वर्ग से जुड़े लोग सड़कों पर उतर आए हैं, ये ममता सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं.


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