Bharat Bandh Today: भारत बंद करने वालों की क्या-क्या डिमांड, किससे हैं नाराज?
Bharat Bandh Demands: आज यानी 21 अगस्त को कई दलित संगठनों और राजनीतिक दलों ने भारत बंद बुलाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए एक फैसले से लोग नाराज हैं. इसी को लेकर भारत बंद का आह्वान किया गया है. आइए, जानते हैं कि लोगों की क्या डिमांड है?
नई दिल्ली: Bharat Bandh Demands: आज देश के कई राजनीतिक दलों और संगठनों की ओर से भारत बंद बुलाया गया है. इस दौरान कई राज्यों के स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. कुछ इलाकों में व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी बंद किया गया है. दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के लिए भारत बंद बुलाया है. आइए, जानते हैं कि भारत बंद बुलाने वालों की क्या मांग है? वे क्या चाहते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर क्या फैसला सुनाया?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कोटा में भी कोटा देने से जुड़े एक मामले में फैसला सुना दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को कोटा के अंदर भी कोटा देने का अधिकार है. इस फैसले का मतलब है कि राज्य सरकार चाहे तो SC और ST में भी सब कैटेगरी बना सकती है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता दे सकती है. संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से ये फैसला दिया थाये फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस पंकज मिथल, और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनाया.
एक जाति को नहीं मिल सकता 100% आरक्षण
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अनुसूचित जाति के अंदर किसी एक विशेष जाति को पूरा 100% कोटा नहीं मिल सकता. किसी भी जाति का कोटा तय हो, उससे पहले उसकी हिस्सेदारी तथ्यात्मक डेटा होना जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोग क्यों नाराज?
सुप्रीम कोर्ट कोटा में कोटा देने के फैसले से कई लोग नाराज हैं. इस फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि इससे आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे सामाजिक न्याय की धारणा मजबूत नहीं हो पाएगी. कई दलित संगठनों का कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण आर्थिक तरक्की के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी पाने के लिए दिया गया था. सामाजिक रूप से होने वाली आर्थिक प्रताड़ना को खत्म करने के लिए आरक्षण लाया गया. इसमें क्रीमी लेयर की बात नहीं उठनी चाहिए थी.
भारत बंद बुलाने वाले क्या चाहते?
भारत बंद बुलाने वालों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले से पीछे हटे, इसे वापिस ले. इन संगठनों का मकसद सरकार भी दबाव डालना है, ताकि कोई भी राज्य सरकार इस सब कैटेगरी बनाकर आरक्षण देना शुरू न कर दे.
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