वाराणसीः सुनने में भले ही ‘भूत विद्या कोर्स’ थोड़ा अटपटा लगे मगर यह काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) के पाठ्यक्रम में शामिल होने जा रहा है. आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या यानी साइंस ऑफ पैरानॉर्मल की पढ़ाई होगी. छह महीने का यह सर्टिफिकेट कोर्स नए साल के जनवरी महीने से शुरू होगा.
दूरदराज के गांवों में आम तौर पर लोग सायकोसोमैटिक अर्थात मानसिक बीमारी को भूत प्रेत का असर मान लेते हैं. अंधविश्‍वास को दूर करने के लिए बीएचयू में अष्‍टांग आयुर्वेद की आठ शाखाओं में से एक गृह चिकित्‍सा यानी भूत विद्या का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होगा. यहां से सर्टिफिकेट प्राप्‍त छात्र समाज में प्रैक्टिस कर आमजन के मन में भूत, ग्रह आदि के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ प्राचीन चिकित्‍सा पद्धति को विज्ञान से जोड़ते हुए ऐसे मरीजों का इलाज करेंगे.


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जनवरी से शुरू होगी पढ़ाई
बीएचयू के आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया कि साइंस ऑफ पैरानार्मल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने वाला यह पहला संकाय हैं. संकाय में भू‍त विद्या की स्‍वतंत्र इकाई होगी. भूत विद्या पर शोध कर चुके प्रो. वीके द्विवेदी के नेतृत्‍व में इसका सिलेबस तैयार किया गया है. जनवरी से इसकी पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी.


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ये है पाठ्यक्रम
नए कोर्स में भूत विद्या की अवधारणा और भूत विद्या उपचारात्‍मक पहलू नामक दो पेपर होंगे। भूत विद्या की अवधारणा में परिभाषा, अनेक अर्थ, ऐतिहासक महत्‍व, जनता में सामान्‍य समझ और आयुर्वेद में भूत विद्या की भूमिका के पाठ पढ़ाए जाएंगे। उपचारात्‍मक पहलू में चिकित्‍सा के प्रकार, ग्रह की प्रकृति, उपसर्ग की कायचिकित्‍सा की पढ़ाई कराई जाएगी. 


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