कांग्रेस को बड़ा झटका, इस राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री ने छोड़ी पार्टी
भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. एक राज्य के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य मणिकम टैगोर ने रविवार को कहा कि जिन लोगों ने पार्टी से सब कुछ हासिल किया और आंध्र प्रदेश कांग्रेस को खत्म कर दिया, वे अब भाजपा में चले.
नई दिल्लीः भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. एक राज्य के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य मणिकम टैगोर ने रविवार को कहा कि जिन लोगों ने पार्टी से सब कुछ हासिल किया और आंध्र प्रदेश कांग्रेस को खत्म कर दिया, वे अब भाजपा में चले.
किरण कुमार रेड्डी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा
दरअसल, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री थे. रेड्डी ने 11 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित अपने पत्र में लिखा है, ‘कृपया इस पत्र को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से मेरे इस्तीफे के रूप में स्वीकार करें.’
2014 में भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं रेड्डी
रेड्डी ने इससे पहले 2014 में आंध्र प्रदेश को विभाजित करने और तेलंगाना बनाने के संयुक्त प्रगतिशील (संप्रग) की तत्कालीन सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी जय समैक्य आंध्र पार्टी बनाई थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस में लौट आए थे.
1989 से राजनीति में सक्रिय हैं किरण कुमार
किरण कुमार साल 1989 से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने वायलपाडु से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी जीत का स्वाद चखा था. वह 1999 और 2004 में एक निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे. इसके बाद 2009 में उन्होंने पिलेरू विधानसभा सीट से चुनावी जीत हासिल की थी.
साल 2009 में तत्कालीन सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद हुए घटनाक्रमों में किरण कुमार को 2010 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुखिया की जिम्मेदारी मिली.
आंध्र प्रदेश के बंटवारे के खिलाफ थे पूर्व सीएम
किरण कुमार आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में थे. उन्होंने नाराज होकर 10 मार्च 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने केंद्र सरकार के फैसले का काफी विरोध किया. साथ ही केंद्र सरकार के बिल के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पास कराया था.
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