नई दिल्ली: लखनऊ से पकड़े गए आतंकियों के तार कहां-कहां तक हैं और उनके आका कौन-कौन है. देश की जांच एजेंसियों ने इसकी जांच तेज कर दी है, लेकिन रोजाना जो नए खुलासे हो रहे हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं. आतंकियों की गिरफ्तारी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है, यूपी एटीएस की रडार पर कानपुर का एक प्रोफेसर है. एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला प्रोफेसर पर एटीएस को शक है.


आतंकियों के संपर्क में था कानपुर का प्रोफेसर!


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लखनऊ के काकोरी इलाके से पकड़े गए अलकायदा के संदिग्ध आतंकियों के तार कानपुर से लेकर यूपी के कई शहरों से जुड़ रहे हैं. ATS की पूछताछ में मशीरुद्दीन और मिनहाज ने कई राज उगले हैं. आतंकियों को सबसे बड़ी मदद कानपुर से हो रही थी.


कानपुर की एक यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर भी यूपी ATS की रडार में है ATS ने कानपुर से बिल्डर समेत सात लोगों को पूछताछ के लिए उठाया है. चमनगंज के एक हिस्ट्रीशीटर ने दोनों आतंकियों को पिस्टल मुहैया कराई थी. कानपुर के 13 खातों से करीब 20 लाख रुपये आतंकियों को ट्रांसफर किए गए.


नई सड़क, चमनगंज में पाठशाला चल रही थी. मदरसे के नाम पर आतंकियों ने जगह ली थी. 2 दर्जन से अधिक बिल्डिंग में संचालन चल रहा था. रहमानी मार्केट के युवकों ने मोबाइल सिम दिए थे. आतंकियों के 25 मददगारों से पूछताछ चल रही है.


मई महीने में ही थी गड़बड़ी फैलाने की साजिश


सूत्रों का कहना है कि एटीएस आतंकियों को जल्द ही कानपुर लेकर जाएगी. मई महीने में ही ब्लास्ट की साजिश थी. लॉकडाउन के चलते प्लान टाला गया था. एटीएस दोनों को जम्मू-कश्मीर लेकर जाएगी. कानपुर से एक बिल्डर को हिरासत में लिया गया. कानपुर में 13 खातों से लाखों की फंडिंग हुई. कश्मीर के तौहीद के खाते में मिनहाज ने पैसे भेजे थे.


आतंकियों ने इस बार कानपुर की जगह लखनऊ को ठिकाना बनाया था. जबकि कानपुर में स्लीपर सेल एक्टिव था जो आरोपियों को पूरी मदद मुहैया करा रहे थे. अहम खुलासे होने के बाद कानपुर पुलिस भी अलर्ट पर है.


पुलिस के मुताबिक पहले मई में ही ब्लास्ट की साजिश थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से प्लान टाला गया था. ATS दोनों आरोपियों को जम्मू-कश्मीर भी लेकर जाएगी. कश्मीर के तौहीद के खाते से भी मिनहास को रकम ट्रांसफर की गई थी.


पकड़े गए आतंकियों के चार यार रच रहे थे साजिश


लखनऊ से पकड़े गए आतंकी 15 अगस्त से पहले उत्तर प्रदेश में धमाके करने की योजना बना रहे थे. संदिग्ध आतंकियों के पास से विस्फोटक और असलहे बरामद किए गए हैं. दोनों आतंकियों के पाकिस्तान से भी कनेक्शन हैं. ये दोनों पाकिस्तान से हैंडल हो रहे थे, लेकिन भारत में भी इनके चार यार थे.


बिल्डर जो आतंकियों के लिए फंड मुहैया करता था. हिस्ट्रीशीटर से भी इन आतंकियों का कनेक्शन था जो  हथियार पहुंचाकर इन्हे और मजबूत बनाता था. वहीं प्रोफेसर से भी इन आतंकियों की सांठगांठ थी जो इन्हे आइडिया देता था. इसके साथ ही आतंकियों के यार में दुकानदार भी शामिल थे, जो फर्जी आइडी के जरिए सिम कार्ड मुहैया कराता था.


ग्रामीण बाजारों से खरीदे गए थे प्रेशर कुकर


ट्रेनिंग पाए आतंकी प्रेशर कुकर या टिफिन में विस्फोटक भरने के बाद उसे आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के जरिए ट्रिगर करते हैं. अंदेशा है कि रविवार को गिरफ्तार हुए आतंकियों ने काकोरी से सटे ग्रामीण बाजारों से प्रेशर कुकर खरीदे थे.


यूपी एटीएस गिरफ्तार आतंकियों के मोबाइल का डाटा रिकवर करने में जुटी है. टेलीग्राम एप पर संदिग्ध लोगों से बातचीत का ब्यौरा होने की बात कही जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में बैठा उमर हलमंडी इस ग्रुप से जुड़ा था. मसीरुद्दीन और मिनहाज से जल्द ही केंद्रीय जांच एजेंसियां भी पूछताछ करेंगी.


मिनहाज के मोबाइल का डाटा रिकवर कराएगी ATS


यूपी एटीएस मिनहाज के मोबाइल का डाटा रिकवर कराएगी, इसमें टेलीग्राम एप पर संदिग्ध लोगों से बातचीत का ब्यौरा होने की बात भी कही जा रही है. इस चैट को डिलीट कर दिया गया था. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में बैठा उमर हलमंडी भी इसी ग्रुप से जुड़ा हुआ था. एटीएस की तरफ से बैंक खातों की डिटेल भी मांगी गई है.


मसीरुद्दीन और मिनहाज से जल्द केंद्रीय जांच एजेंसियां और सुरक्षा एजेंसियां भी लखनऊ आकर उनसे पूछताछ करेंगी. मिनहाज के घर से बरामद पिस्तौल कानपुर से खरीदी गई थी. एटीएस व पुलिस की टीम पड़ताल कर रही है. मिनहाज द्वारा जम्मू कश्मीर के तौहीद को उसके बताए खाते में लाखों रुपये स्थानांतरित किया गया था, उन खातों के  बारे में जानकारी हासिल की जा रही है. तौहीद के बारे में पूरी डिटेल व मोबाइल डिटेल खंगाली जा रही है, मिनहाज की डायरी को भी बरामद किया जाना है जिसमें मूसा व तौहीद की टेलीग्राम आईडी की डिटेल दर्ज है.


एटीएस सूत्रों के मुताबिक अलकायदा या अन्य दूसरे आतंकी संगठन भी अपने साथ जोड़ने वालों को इसी शर्त पर जोड़ते हैं कि जिन हालात में रहते हैं वैसे ही रहेंगे. लो प्रोफाइल रखने का मकसद लोगों की नजर में आने से बचना होता है. लिहाजा मुशीर बैटरी रिक्शा चलाता था और खुद को साधारण शहरी के रूप में दिखाता था.


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