जेल में बैठे-बैठे बाहर अपना कारोबार चला रहे हैं अपराधी, जानिए पूरी कहानी
पंजाबी के स्टार रैपर सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हुई हत्या के तार जब सुलझने लगे और इस पूरी घटना के सूत्रधार का पता चला तो लोगों को अचानक फिल्मी सीन असल जिंदगी का महसूस होने लगा.
नई दिल्ली: वर्ष 2005 में एक फिल्म रिलीज हुई थी- अपहरण.. नाना पाटेकर और अजय देवगन दोनों ने इस फिल्म में गैंगस्टर का किरदार निभाया था. फिल्म के एक सीन में नाना पाटेकर अजय देवगन से कहते हैं, 'इस समय हालात हमारे पक्ष में नहीं हैं. कुछ दिन के लिए अपना काम जेल से करो और किसी बात की चिंता मत करो.'
नाना पाटेकर का यह डायलॉग दर्शकों ने फिल्मी ही समझा और माना कि असल जिंदगी से इसका कोई लेना-देना नहीं है. ऐसा ही दावा फिल्म के शुरुआत में निर्देशक ने भी किया था कि इस कहानी के सभी पात्र और घटनायें काल्पनिक हैं, इनका वास्तविक जिंदगी से किसी भी प्रकार की समानता को महज संयोग माना जाए.
फिल्मी स्टाइल में हुई सिद्धू मूसेवाला की हत्या?
पंजाबी के स्टार रैपर सिद्धू मूसेवाला की दिनदहाड़े हुई हत्या के तार जब सुलझने लगे और इस पूरी घटना के सूत्रधार का पता चला तो लोगों को अचानक फिल्मी सीन असल जिंदगी का महसूस होने लगा.
मूसेवाला की हत्या के तत्काल बाद पंजाब पुलिस ने शक जताया कि मकोका के मामले में तिहाड़ तेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई इस हत्या का मास्टरमाइंड है. अब सवाल यह उठता है कि बिश्नोई ने भरपूर सुरक्षा व्यवस्था वाली जेल से एक ऐसी तगड़ी फुलप्रुफ योजना कैसे बनाई. उसने कैसे इस हत्या को इतनी सफाई से अंजाम दिया.
लॉरेंस बिश्नोई के भतीजे ने कबूली हत्या की बात
पंजाब पुलिस के इस दावे के साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बिश्नोई को हिरासत में लिया. बीते दो जून को लॉरेंस बिश्नोई के भतीजे सचिन बिश्नोई ने एक न्यूज चैनल से मूसेवाला की हत्या करने की बात कबूली.
उसने दावा किया अकाली दल के युवा नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की गत साल अगस्त में हुई हत्या का बदला लेने के लिए मूसेवाला की हत्या की गई. मिद्दुखेड़ा लॉरेंस बिश्नोई का करीबी दोस्त था.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल लेकिन लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ करती रही और जल्द ही मूसेवाला पर हमला करने वाले आठ शूटर की पहचान सामने आई.
लॉरेंस बिश्नोई ही था हत्या का मास्टरमाइंड
पुलिस ने मूसेवाला की हत्या के दस दिन बाद आठ जून को सार्वजनिक रूप से बताया कि लॉरेंस बिश्नोई ही हत्या का मास्टरमाइंड था. स्पेशल सेल के कमिश्नर एच एस धालीवाल ने बताया कि मूसेवाला की हत्या सुनियोजित योजना का परिणाम था.
पुलिस ने और जानकारी नहीं दी और कहा कि मामले की जांच अभी जारी है इसीलिए मीडिया से अधिक जानकारी साझा नहीं की जा सकती है.
अब जब जेल के अंदर से कोई कैदी हत्या की इतनी सुनियोजित योजना बनाता है और उसके गैंग के लोग उस योजना को पूरी तरह अंजाम तक ले जाते हैं, तब जेल प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है.
तिहाड़ जेल प्रशासन गत एक साल के दौरान ऐसे ही आरोपों के कारण सुर्खियों में रहा है. पिछले साल, 40 से अधिक जेल अधिकारियों पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा मामला दर्ज किया गया था. इन पर कैदियों को विशेष सुविधा देने का आरोप था.
जेल प्रशासन पर वसूली करने का आरोप
यूनीटेक के पूर्व प्रमोटर अजय चंद्रा और संजय चंद्रा तथा महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने इन अधिकारियों की सेवायें ली हैं. सुकेश ने तो तिहाड़ जेल प्रशासन पर वसूली करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है.
सुकेश ने आरोप लगाया है कि तिहाड़ के कई अधिकारियों ने उससे गत दो साल में 12.5 करोड़ रुपये वसूल किये हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सुकेश हर पखवाड़े जेल अधिकारियों को 75 लाख रुपये सिर्फ मोबाइल फोन अपने पास रखने के लिए देता था.
तिहाड़ जेल परिसर में तीन नये टावर लगाये गये हैं , जिनसे मोबाइल सिग्नल को जाम किया जाता है. इसके अलावा पूरी जेल में सात हजार से अधिक सीसीटीवी लगाए गये हैं ताकि कैंदियों पर अच्छी तरह से नजर रखी जा सके.
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