बाहुबली नेता आनंद मोहन रिहा, क्या होने जा रहा उनका अगला कदम
बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह जेल से रिहा हो गए हैं. वह करीब 16 साल बाद जेल से रिहा हुए. नीतीश सरकार ने हाल ही में जेल नियमों में बदलाव किया था, जिसके बाद उनकी रिहाई हुई है. वह गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या के केस में जेल में बंद थे. उनके जेल से निकलने के बाद चर्चा है कि वह राजनीति में कदम रखेंगे. हालांकि, अभी उन्होंने अपने आगे के प्लान के बारे में कुछ खुलासा नहीं किया है.
नई दिल्लीः बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह जेल से रिहा हो गए हैं. वह करीब 16 साल बाद जेल से रिहा हुए. नीतीश सरकार ने हाल ही में जेल नियमों में बदलाव किया था, जिसके बाद उनकी रिहाई हुई है. वह गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या के केस में जेल में बंद थे. उनके जेल से निकलने के बाद चर्चा है कि वह राजनीति में कदम रखेंगे. हालांकि, अभी उन्होंने अपने आगे के प्लान के बारे में कुछ खुलासा नहीं किया है.
'एमवाई समीकरण के आगे नीतीश ने किया समझौता'
वहीं, आनंद मोहन की रिहाई पर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता में बने रहने के लिए लालू-राबड़ी परिवार के भ्रष्टाचार और मुसलमान - यादव (एम-वाई ) समीकरण के अपराध के आगे घुटने टेक कर समझौता कर लिया है.
सरकार का दलित विरोधी चेहरा आया सामनेः सुशील
मोदी ने सवाल करते हुए कहा कि दलित समाज से आने वाले आईएएस जी कृष्णैय्या की हत्या के मामले में, जिसकी सजा को सुप्रीम कोर्ट तक ने बहाल रखा, उसे रिहा करने के लिए कानून से छेड़छाड़ करना क्या कानून का राज है? इस फैसले से सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव क्या कृष्णया हत्याकांड के दोषसिद्ध अपराधी की इस तरह हुई रिहाई को सही ठहरायेंगे?
तेलंगाना की आईएएस अधिकारी का सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप का आग्रह
वहीं, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की वरिष्ठ अधिकारी स्मिता सभरवाल ने बिहार में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैय्या की हत्या में शामिल दोषियों की रिहाई में सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. स्मिता, जो तेलंगाना के मुख्यमंत्री की सचिव हैं, उन्होंने बुधवार को कृष्णैय्या के परिवार के साथ एकजुटता व्यक्त की.
ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए जानी जाने वाली स्मिता ने ट्वीट किया, कभी-कभी ऐसा लगता है कि क्या सिविल सेवक होना ठीक है. सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करें.
उन्होंने सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन के उस बयान को रीट्वीट किया, जिसमें गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी जी कृष्णया की नृशंस हत्या में शामिल दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त की गई थी.
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