नई दिल्लीः बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रदेश के सभी जिलों में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित गणना की कवायद को 'ऐतिहासिक' कदम करार दिया. उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना की यह कवायद सरकार को समाज के कमजोर वर्गों के लाभ की दिशा में काम करने के लिए वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध कराएगी. 


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'राज्य सरकार को मिलेगा वैज्ञानिक डेटा'
राजधानी पटना में संवाददाताओं से बातचीत में तेजस्वी ने कहा, 'आज से राज्य में जाति आधारित गणना की कवायद शुरू हो गई है. यह बिहार में महागठबंधन सरकार की ओर से उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है. एक बार अभ्यास पूरा हो जाने के बाद यह वंचितों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लाभ के लिए कार्य करने की दिशा में राज्य सरकार को वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा.' 


गरीब विरोधी पार्टी है बीजेपीः तेजस्वी
उन्होंने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर, महागठबंधन सरकार के सभी घटक दल इस कवायद के पक्ष में थे. भाजपा, जो एक गरीब विरोधी पार्टी है, हमेशा इस कवायद के बारे में आलोचनात्मक थी. यही कारण है कि वह शुरू से ही जाति-आधारित गणना का विरोध करती आई है.' 


तेजस्वी का यह बयान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति आधारित गणना सभी के लिए फायदेमंद हो सकती है. बिहार की राजनीति में जाति-आधारित गणना एक प्रमुख मुद्दा रही है. 


जदयू समेत ये दल कर रहे थे मांग
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और महागठबंधन के सभी घटक दल लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह कवायद जल्द से जल्द शुरू की जाए. केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर यह अभ्यास करने की सहमति जताई थी, लेकिन जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा को कभी तैयार नहीं किया गया. 


केंद्र की ओर से व्यक्त की गई असमर्थता
केंद्र की मौजूदा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर बिहार सरकार ने यह कवायद शुरू की है. पटना में पूरा अभ्यास दो चरणों में किया जाएगा. प्रथम चरण में, जो 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, जिले के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी. 


वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी ली जाएगी
दूसरे चरण में मार्च से सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा जुटाया जाएगा. पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “गणना करने वाले कर्मचारी सभी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज करेंगे. मैंने आज सुबह पटना में बिस्कोमान भवन के पास बैंक रोड क्षेत्र में राज्य सरकार के कर्मचारियों की ओर से चलाए जा रहे अभ्यास का निरीक्षण भी किया.” 


आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार
उन्होंने कहा, “अभ्यास बहुत सुचारू रूप से किया जा रहा है. पटना जिले के सभी 12,696 प्रखंडों में इसे अंजाम दिया जा रहा है.” पटना में जाति आधारित गणना को मई 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. पहले, यह अभ्यास फरवरी 2023 तक पूरा किया जाना था. राज्य सरकार इस अभ्यास के लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी. सर्वेक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल प्राधिकारी है. 


(इनपुटः भाषा)


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