बिहार में शरिया कानून लागू करने के खुले प्रयास, शुक्रवार को बंद रखे जा रहे कई संस्थान: गिरिराज
गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया, ‘रविवार को स्कूलों में समान रूप से साप्ताहिक अवकाश होता है, लेकिन बिहार में शरिया कानून लागू करने के खुले प्रयास के तौर पर शुक्रवार को कई संस्थान बंद रखे जा रहे हैं.’
पटना. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बिहार में सक्रिय 'स्लीपर सेल' और कुछ इलाकों में शरीयत थोपने की कार्रवाई का भाजपा के विरोध करने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने हाल ही में भाजपा से नाता तोड़ कर राजद और कांग्रेस से हाथ मिला लिया है.
गिरिराज सिंह ने दावा किया, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के फुलवारीशरीफ मॉड्यूल का पर्दाफाश साबित करता है कि बिहार स्लीपर सेल से प्रभावित हो गया है. झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सहित दो लोगों को बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ इलाके से 13 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था जबकि इस सिलसिले में एक अन्य व्यक्ति को तीन दिन बाद लखनऊ से उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने गिरफ्तार किया था.
शुक्रवार को कई संस्थान बंद रखे जा रहे
सिंह ने आरोप लगाया, ‘रविवार को स्कूलों में समान रूप से साप्ताहिक अवकाश होता है, लेकिन बिहार में शरिया कानून लागू करने के खुले प्रयास के तौर पर शुक्रवार को कई संस्थान बंद रखे जा रहे हैं.’ मुख्यमंत्री के घोर आलोचक माने जाने वाले सिंह ने कहा, ‘भाजपा इन मुद्दों को राष्ट्रहित में उठा रही थी, लेकिन इससे नीतीश कुमार असहज हो गए.’
'नीतीश की बेचैनी के कारण हमें सत्ता गंवानी पड़ी'
भाजपा नेता ने नीतीश पर प्रहार जारी रखते हुए कहा, ‘उनकी बेचैनी के कारण हमें (भाजपा को) बिहार में सत्ता गंवानी पड़ी, लेकिन अब राज्य में विपक्ष में रहकर हम राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के मुद्दे को और भी अधिक मजबूती के साथ उठाएंगे.’
तेजस्वी पर भी लगाए आरोप
उन्होंने राजद-जदयू गठबंधन पर उर्दू माध्यम के स्कूलों के पक्ष में पूर्वाग्रह दिखाने का आरोप लगाते हुए उपमुख्यमंत्री और राजद नेता के बारे कहा, ‘तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियों के वादे को पूरा करने के लिए रिक्त पदों को भरने की बात कही थी. मुझे पता चला है कि नई कैबिनेट ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘उन्हें सामान्य स्कूलों और उन लोगों के लिए भी बहुत कम चिंता है जहां शिक्षा का माध्यम संस्कृत है.’
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